हनुमान जी कलयुग में भी धरती पर विद्यमान हैं।
ऐसे तो अनेक देवी-देवताओं की पूजा होती है, लेकिन हनुमान जी एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी उपस्थिति आज भी इस धरती पर मानी जाती है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से हनुमान जी की भक्ति करता है, वह हर प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है। हनुमान जी की उपासना से आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।
अधिकांश लोग हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, जो अत्यंत लाभकारी माना जाता है। लेकिन यदि बजरंग बाण का नियमित और विधिपूर्वक पाठ किया जाए, तो भक्तों को बजरंगबली की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह पाठ अनेक प्रकार की समस्याओं से छुटकारा दिलाने में सहायक होता है। हालांकि बजरंग बाण का पाठ करते समय उसकी विधि, नियम और सावधानियों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है।
बजरंग बाण किसने लिखा? – Who Wrote Bajrang Baan
ऐसा माना जाता है कि जिस प्रकार हनुमान चालीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी, उसी तरह बजरंग बाण की रचना भी उन्हीं की प्रेरणा से हुई थी।
कहा जाता है कि एक समय की बात है, जब तुलसीदास जी काशी (वाराणसी) में निवास कर रहे थे। वहां एक तांत्रिक ने उन पर मारण प्रयोग किया, जिससे उनके शरीर पर भयंकर फोड़े-फुंसियां उभर आईं और वे असहनीय पीड़ा में घिर गए।
इस अत्यंत कष्टदायक समय में, तुलसीदास जी ने भगवान हनुमान से प्रार्थना करते हुए बजरंग बाण का पाठ आरंभ किया। उनके इस श्रद्धा-पूर्ण आवाहन के परिणामस्वरूप, अगले ही दिन उनके शरीर पर उभरे सारे फोड़े स्वतः ठीक हो गए और वे पूर्णतः स्वस्थ हो गए।
यही कारण है कि बजरंग बाण को न केवल संकटों से रक्षा करने वाला, बल्कि शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला एक अचूक और शक्तिशाली पाठ माना जाता है।
बजरंग बाण पाठ करने की विधि
- मंगलवार को सूर्योदय से पूर्व उठें, स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल पर हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- किसी भी कार्य या पाठ की शुरुआत में भगवान गणेश की पूजा आवश्यक है, इसलिए सबसे पहले गणपति जी की आराधना करें।
- इसके बाद भगवान श्रीराम और माता सीता का ध्यान करें।
- फिर श्री हनुमान जी को प्रणाम करके बजरंग बाण पाठ का संकल्प लें।
- हनुमान जी को पुष्प अर्पित करें और दीपक तथा अगरबत्ती जलाएं।
- कुशा का आसन बिछाकर उस पर बैठें और पाठ प्रारंभ करें।
- पाठ पूर्ण होने के पश्चात श्रीराम का स्मरण करें और उनका नाम जपें।
- हनुमान जी को चूरमा, लड्डू और मौसमी फलों का भोग लगाएं।
बजरंग बाण पाठ के नियम
- जितनी बार आप बजरंग बाण का पाठ करने का संकल्प लें, उसे रुद्राक्ष की माला से पूरा करें। यदि संख्या याद रख सकते हैं, तो बिना माला के भी पाठ कर सकते हैं।
- पाठ करते समय उच्चारण स्पष्ट और शुद्ध होना चाहिए।
- यदि किसी विशेष कामना की पूर्ति हेतु पाठ कर रहे हैं, तो कम से कम 41 दिनों तक नियमित पाठ करें।
- पाठ के दिनों में लाल वस्त्र धारण करें।
- संकल्प के दिनों में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।
- इन दिनों में मांस, मदिरा या किसी भी तामसिक वस्तु का सेवन न करें।
- इन परिस्थितियों में कभी भी बजरंग बाण का पाठ न करें:
- किसी को नुकसान पहुँचाने की इच्छा से।
- किसी अनुचित या अनैतिक कार्य की सिद्धि हेतु।
- बिना प्रयास के केवल सफलता की इच्छा से।
- धन, ऐश्वर्य या सांसारिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति हेतु।
बजरंग बाण पाठ के लाभ – Bajrang Baan Benefits
- बजरंग बाण का नियमित और श्रद्धापूर्वक पाठ करने से मन से जुड़ा हर प्रकार का भय स्वतः दूर हो जाता है।
- यदि कोई व्यक्ति किसी रोग से पीड़ित है, तो ऐसा माना जाता है कि इस पाठ को करने से उस बीमारी से मुक्ति मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
- ज्योतिष के अनुसार, यदि आपकी कुंडली में कोई दोष मौजूद है, तो बजरंग बाण का पाठ एक प्रभावशाली उपाय के रूप में कार्य करता है और इन दोषों से छुटकारा दिलाने में सहायक होता है।
- यदि आपके कार्यों में लगातार बाधाएं आ रही हैं या सफलता नहीं मिल रही, तो बजरंग बाण का पाठ करने से मार्ग प्रशस्त होता है और कार्य सिद्धि मिलने लगती है।
- शत्रु बाधा से मुक्ति पाने और विरोधियों पर विजय प्राप्त करने के लिए भी यह पाठ एक अचूक उपाय माना गया है।
- मांगलिक दोष के कारण यदि विवाह में देरी या रुकावट आ रही हो, तो मंगलवार के दिन नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करने से विवाह में आ रही अड़चनें दूर हो सकती हैं।
- वास्तु दोष के कारण यदि घर में समस्याएं उत्पन्न हो रही हों, तो पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति स्थापित कर के बजरंग बाण का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है और इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- अपना घर खरीदने या निर्माण करने की इच्छा हो, तो भी इस पाठ को करने से मनोकामना पूर्ण होने का मार्ग खुलता है।
- नौकरी पाने की चाह रखने वाले व्यक्तियों के लिए भी यह पाठ सहायक सिद्ध हो सकता है, बशर्ते इसके साथ परिश्रम और प्रयास भी किया जाए।
- यदि शनि की दशा के कारण जीवन में रुकावटें और असफलताएं मिल रही हों, तो बजरंग बाण का पाठ एक शक्तिशाली उपाय बनकर उभरता है।
बजरंग बाण पाठ – Bajrang Baan Lyrics
॥ दोहा ॥
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान । तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमंत संत हितकारी ।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥१॥
जन के काज बिलंब न कीजै ।
आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥२॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा ।
सुरसा बदन पैठि बिस्तारा ॥३॥
आगे जाय लंकिनी रोका ।
मारेहु लात गई सुरलोका ॥४॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा ।
सीता निरखि परमपद लीन्हा ॥५॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा ।
अति आतुर जमकातर तोरा ॥६॥
अक्षय कुमार मारि संहारा ।
लूम लपेटि लंक को जारा ॥७॥
लाह समान लंक जरि गई ।
जय जय धुनि सुरपुर नभ भई ॥८॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी ।
कृपा करहु उर अन्तर्यामी ॥९॥
जय जय लखन प्राण के दाता ।
आतुर ह्वै दुःख करहु निपाता ॥१०॥
जै गिरिधर जै जै सुख सागर ।
सुर-समूह-समरथ भटनागर ॥११॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले ।
बैरिहि मारु बज्र की कीले ॥१२॥
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो।
महाराज प्रभु दास उबारो॥१३॥
ॐ कार हुंकार महाप्रभु धावो ।
बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ॥१४॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीशा ।
ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ॥१५॥
सत्य होहु हरि शपथ पायके ।
राम दूत धरु मारु जाय के ॥१६॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा ।
दुःख पावत जन केहि अपराधा ॥१७॥
पूजा जप तप नेम अचारा ।
नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ॥१८॥
वन उपवन मग गिरि गृह माहीं ।
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ॥१९॥
पांय परौं कर जोरि मनावौं ।
येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ॥२०॥
जय अंजनि कुमार बलवंता ।
शंकर सुवन वीर हनुमंता ॥२१॥
बदन कराल काल कुल घालक ।
राम सहाय सदा प्रतिपालक ॥२२॥
भूत, प्रेत, पिशाच निशाचर ।
अग्नि बेताल काल मारी मर ॥२३॥
इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की ।
राखउ नाथ मरजाद नाम की ॥२४॥
जनकसुता हरि दास कहावो ।
ताकी शपथ बिलंब न लावो ॥२५॥
जै जै जै धुनि होत अकासा ।
सुमिरत होय दुसह दुःख नाशा ॥२६॥
चरण शरण कर जोरि मनावौं ।
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ॥२७॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई ।
पाँय परौं, कर जोरि मनाई ॥२८॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ।
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॥२९॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल ।
ॐ सं सं सहमि पराने खल दल ॥३०॥
अपने जन को तुरत उबारो ।
सुमिरत होय आनंद हमरो ॥३१॥
यह बजरंग बाण जेहि मारै ।
ताहि कहो फिरि कौन उबारै ॥३२॥
पाठ करै बजरंग बाण की ।
हनुमत रक्षा करै प्रान की ॥३३॥
यह बजरंग बाण जो जापै ।
ताते भूत-प्रेत सब कापैं ॥३४॥
धूप देय जो जपै हमेशा ।
ताके तन नहिं रहै कलेशा ॥३५॥
॥ दोहा ॥
प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥