दुर्गा चालीसा माता दुर्गा की स्तुति में रचित एक अत्यंत शक्तिशाली और श्रद्धापूर्ण भक्ति ग्रंथ है। इसमें माता के स्वरूप, शक्ति, करुणा, और उनके दिव्य कार्यों का वर्णन किया गया है। यह चालीसा न केवल माता की आराधना है, बल्कि इसमें एक आध्यात्मिक संदेश भी निहित है — कि जीवन के हर संकट, भय और अंधकार को दूर करने वाली एकमात्र शक्ति “माँ दुर्गा” ही हैं।
इस चालीसा की शुरुआत “नमो नमो दुर्गे सुख करनी, नमो नमो अम्बे दुःख हरनी” से होती है, जो दर्शाती है कि माँ दुर्गा ही वह शक्ति हैं जो अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं और सुख प्रदान करती हैं। माँ की ज्योति निराकार है, जो तीनों लोकों में प्रकाश फैलाती है। उनके तेज और सौंदर्य का वर्णन इस चालीसा में अत्यंत भव्य रूप से किया गया है — उनका मुख चंद्रमा जैसा शांत और विशाल है, नेत्र लाल हैं जो अन्याय और अधर्म का संहार करते हैं, और उनका दर्शन करने मात्र से भक्त को अपार आनंद प्राप्त होता है।
आगे के दोहों में बताया गया है कि माँ ही सृष्टि की पालनकर्ता और संहारकर्ता हैं। वे अन्नपूर्णा के रूप में संसार का पालन करती हैं और प्रलयकाल में समस्त सृष्टि का संहार भी करती हैं। शिव की अर्धांगिनी गौरी के रूप में वे करुणामयी हैं, तो कालिका के रूप में राक्षसों का नाश करने वाली भी हैं।
माँ दुर्गा के अनेक रूपों — लक्ष्मी, सरस्वती, काली, अन्नपूर्णा, भुवनेश्वरी, बगला, धूमावती, तारा आदि — का उल्लेख इस चालीसा में मिलता है। यह दर्शाता है कि जगत में जो भी देवी शक्तियाँ हैं, वे सभी एक ही आदिशक्ति “जगदम्बा भवानी” के रूप हैं।
इस चालीसा में माँ के पराक्रम का भी वर्णन है — उन्होंने शुम्भ-निशुम्भ, रक्तबीज, और महिषासुर जैसे दानवों का संहार किया, ताकि पृथ्वी पर धर्म की स्थापना हो सके और संतों की रक्षा हो। जब-जब भक्तों पर संकट आया, तब-तब माँ ने अवतार लेकर उनकी सहायता की। यह बताता है कि माँ सदैव अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और धर्म की पुनर्स्थापना के लिए तत्पर रहती हैं।
अंतिम भाग में भक्त का हृदयस्पर्शी प्रार्थना रूप में विनम्र निवेदन है — वह माँ से अपने दुखों को हरने, मोह-माया से मुक्त करने, और जीवन में सुख, शांति, तथा सिद्धि प्रदान करने की याचना करता है। चालीसा का सार यही है कि जो व्यक्ति भक्ति और प्रेम से दुर्गा चालीसा का पाठ करता है, उसे जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है, दरिद्रता दूर होती है, और अंततः वह परमपद को प्राप्त करता है।
संक्षेप में, दुर्गा चालीसा यह समझाती है कि
👉 माँ दुर्गा ही समस्त सृष्टि की जननी और शक्ति हैं।
👉 वे दया, प्रेम, और न्याय की मूर्ति हैं।
👉 जो सच्चे मन से उन्हें भजता है, उसका कोई अनिष्ट नहीं होता।
👉 उनका स्मरण ही भय, दुख, और असफलता को समाप्त कर देता है।
यह चालीसा केवल स्तुति नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है — जो मन, कर्म और वचन से माँ के प्रति समर्पण सिखाती है। जो इसे नित्य श्रद्धा से पढ़ता है, वह जीवन में सुख, शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करता है।
दुर्गा चालीसा लिरिक्स (Durga Chalisa Lyrics)
॥ चौपाई ॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अम्बे दुःख हरनी॥१॥
निराकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥२॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥३॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥४॥
तुम संसार शक्ति लय कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥५॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥६॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥७॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥८॥
रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि-मुनिन उबारा॥९॥
धरा रूप नरसिंह को अम्बा। प्रगट भईं फाड़कर खम्बा॥१०॥
रक्षा कर प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥११॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥१२॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥१३॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥१४॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥१५॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥१६॥
केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥१७॥
कर में खप्पर-खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजे॥१८॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥१९॥
नगर कोटि में तुम्हीं विराजत। तिहुंलोक में डंका बाजत॥२०॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥२१॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥२२॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥२३॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥२४॥
अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥२५॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥२६॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावै। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥२७॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥२८॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥२९॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥३०॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥३१॥
शक्ति रूप को मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥३२॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥३३॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥३४॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥३५॥
आशा तृष्णा निपट सतावे। मोह मदादिक सब विनशावै॥३६॥
शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥३७॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला॥३८॥
जब लगि जियउं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥३९॥
दुर्गा चालीसा जो नित गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥४०॥
देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
दुर्गा चालीसा पाठ के लाभ, सही समय और महत्व
दुर्गा चालीसा माँ दुर्गा की महिमा का वर्णन करने वाली अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली स्तुति है। यह चालीसा सनातन धर्म में विशेष स्थान रखती है, क्योंकि इसके नियमित पाठ से माँ दुर्गा की दिव्य कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली अनेक विपत्तियाँ स्वतः दूर हो जाती हैं। दुर्गा चालीसा का पाठ करने से न केवल मन को शांति मिलती है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मबल भी प्रदान करती है।
🌺 दुर्गा चालीसा पाठ के प्रमुख लाभ
दुर्गा चालीसा के नियमित पाठ से मनुष्य को मानसिक, आध्यात्मिक और भौतिक—तीनों स्तरों पर लाभ मिलता है। यह चालीसा व्यक्ति के विचलित मन को स्थिर करती है और तनाव, भय और चिंता को समाप्त करती है। जिस घर में प्रतिदिन श्रद्धा से दुर्गा चालीसा का पाठ होता है, वहाँ नकारात्मक शक्तियाँ और नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती हैं। ऐसे घर में शांति, सौहार्द और समृद्धि का वास होता है। यदि कोई व्यक्ति जीवन में असुरक्षा, भय या मानसिक द्वंद्व से गुजर रहा है, तो उसे दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ अवश्य करना चाहिए। इससे भय दूर होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और साधक के भीतर दृढ़ संकल्प की शक्ति उत्पन्न होती है।
🕉️ दुर्गा चालीसा पाठ का शुभ समय
दुर्गा चालीसा का पाठ करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त (सुबह सूर्योदय से पूर्व का समय) सबसे उत्तम माना गया है। इस समय वातावरण शांत और पवित्र होता है, जिससे मन एकाग्र रहता है और पाठ का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
यदि सुबह पाठ करना संभव न हो, तो संध्या काल में स्नान कर, शुद्ध मन से माँ दुर्गा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर पाठ किया जा सकता है।
📅 दुर्गा चालीसा पाठ के विशेष दिन
हालाँकि दुर्गा चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन कुछ दिन विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
- मंगलवार और शुक्रवार को माँ दुर्गा को समर्पित दिन माना जाता है, इसलिए इन दिनों पाठ का विशेष फल प्राप्त होता है।
- नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा चालीसा का पाठ करने से माँ दुर्गा की अपार कृपा बरसती है और भक्त की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
🌼 नवरात्रि में दुर्गा चालीसा पाठ का विशेष महत्व
नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा स्वयं पृथ्वी पर विराजमान होती हैं। इस अवधि में वातावरण में पवित्र और दिव्य ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है।
जब भक्त दुर्गा चालीसा का पाठ करता है, तो उसकी भक्ति से उत्पन्न स्पंदन उस दिव्य ऊर्जा से जुड़ जाते हैं, जिससे उसके आसपास की सभी नकारात्मकता, भय और बाधाएँ नष्ट हो जाती हैं। इस कारण नवरात्रि में दुर्गा चालीसा का पाठ करना अत्यंत फलदायी और शुभ माना जाता है।
✨ निष्कर्ष
दुर्गा चालीसा केवल एक स्तुति नहीं, बल्कि यह माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का आध्यात्मिक साधन है। जो व्यक्ति इसे निष्ठा और श्रद्धा से पढ़ता है, उसके जीवन से दुःख, भय और दुर्भाग्य दूर होकर सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
🙏 नित्य दुर्गा चालीसा का पाठ करें, माँ दुर्गा की असीम कृपा पाएं और जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भरें।
प्रसिद्ध “दुर्गा चालीसा” – वीडियो :
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जय माता दी! 🌺