श्री शनि चालीसा (Shanidev Chalisa)

शनि चालीसा समझाती है कि भगवान शनि देव न्याय और कर्मफल के देवता हैं, जो मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। यह चालीसा उनके दिव्य स्वरूप, तेजस्वी प्रभाव और उनकी अनोखी लीलाओं का वर्णन करती है। इसमें बताया गया है कि शनि देव दंड भी देते हैं और कृपा भी , यदि कोई व्यक्ति अन्याय या गलत कर्म करता है, तो वे उसे सही मार्ग पर लाने के लिए कठोर परिणाम देते हैं, और यदि कोई भक्त सच्चे मन से भक्ति करता है, तो शनि देव क्षण मात्र में उसका भाग्य बदल सकते हैं। चालीसा की शुरुआत में गणेश जी और शनि देव की वंदना की गई है, जिसमें भक्त दया, संकटों से मुक्ति और सुख-समृद्धि की कामना करता है। आगे शनि देव के श्यामवर्ण, मुकुटधारी, चार-भुजाओं वाले स्वरूप का सुंदर वर्णन मिलता है, जिनके हाथ में गदा, त्रिशूल और परशु जैसे अस्त्र होते हैं। उनके दस प्रसिद्ध नाम जैसे पिंगल, कृष्ण, यम, मन्द, सौरी, कोणस्थ आदि उनके विविध शक्तियों और स्वरूपों का प्रतीक हैं।

चालीसा में बताया गया है कि शनि देव का प्रभाव बिल्कुल न्यायपूर्ण होता है , जिस पर उनकी कृपा बरसती है, वह निर्धन से राजा बन सकता है, और जिसकी दशा कठिन होती है, वह संघर्षों से गुजरता है, लेकिन यह संघर्ष आत्मशुद्धि और जीवन में सुधार लाने का माध्यम बनते हैं। रामायण, महाभारत और इतिहास के उदाहरणों में दिखाया गया है कि राम-वनवास से लेकर विक्रमादित्य, राजा हरिश्चन्द्र, नल-दमन और पाण्डवों तक सभी ने शनि की कठोर दशा का अनुभव किया, पर अंत में उनकी कृपा से उत्थान भी पाया। यह बताता है कि शनि का प्रभाव हमेशा नकारात्मक नहीं होता; बल्कि कठिन समय इंसान को मजबूत, विवेकशील और धर्म के मार्ग पर ले जाता है।

शनि चालीसा में उनके विभिन्न वाहनों—हाथी, घोड़े, सिंह, गधे और कुत्ते का उल्लेख है, जिनके आधार पर शुभ और अशुभ फलों का संकेत माना जाता है। यह निरंतर बदलती ग्रह-गति और जीवन के उतार-चढ़ाव का प्रतीक है। अंतिम चौपाइयों में शनि की साढ़ेसाती और ढैया से मुक्ति के उपाय बताए गए हैं , पीपल को जल चढ़ाना, शनिवार को दीपदान, नियमित पूजा और शांति-पाठ करने से भगवान शनि शीघ्र प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख, स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करते हैं।

सार रूप में शनि चालीसा बताती है कि शनि देव न्यायकारी देवता हैं, जो दुष्कर्मों का दंड और सत्कर्मों का फल अवश्य देते हैं। कठिन समय हमें सुधारने और आध्यात्मिक रूप से ऊँचा उठाने के लिए होता है। सत्य, विनम्रता और सेवा भावना रखने वाला व्यक्ति शनि देव की असीम कृपा प्राप्त कर सकता है। जो भक्त श्रद्धा से शनि चालीसा का पाठ करता है, उसके जीवन में उन्नति, सुरक्षा, मानसिक शांति और शुभता स्थिर रहती है। यह चालीसा हमें यह भी सीख देती है कि जीवन में आने वाले हर सुख-दुःख का मूल कारण हमारे अपने कर्म हैं, और यदि हम धर्म, सत्य और भक्ति के मार्ग पर रहें, तो शनि देव सदैव हमारे रक्षक बनकर साथ चलते हैं।

शनि चालीसा – Shani Chalisa Lyrics

॥ दोहा ॥

जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुःख दूर करि,कीजै नाथ निहाल॥

जय जय श्री शनिदेव प्रभु,सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय,राखहु जन की लाज॥

॥ चौपाई ॥

जयति जयति शनिदेव दयाला।करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥१॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥२॥

परम विशाल मनोहर भाला।टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥३॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।हिये माल मुक्तन मणि दमके॥४॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा।पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥५॥
पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन।यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन॥६॥

सौरी, मन्द, शनि, दशनामा।भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥७॥
जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं।रंकहुं राव करैं क्षण माहीं॥८॥

पर्वतहू तृण होई निहारत।तृणहू को पर्वत करि डारत॥९॥
राज मिलत वन रामहिं दीन्हो।कैकेइहुं की मति हरि लीन्हो॥१०॥

बनहूं में मृग कपट दिखाई।मातु जानकी गयी चुराई॥११॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।मचिगा दल में हाहाकारा॥१२॥

रावण की गति मति बौराई।रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥१३॥
दियो कीट करि कंचन लंका।बजि बजरंग बीर की डंका॥१४॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।चित्र मयूर निगलि गै हारा॥१५॥
हार नौलाखा लाग्यो चोरी।हाथ पैर डरवायो तोरी॥१६॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो।तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥१७॥
विनय राग दीपक महँ कीन्हों।तब प्रसन्न प्रभु है सुख दीन्हों॥१८॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।आपहुँ भरे डोम घर पानी॥१९॥
तैसे नल पर दशा सिरानी।भूँजी-मीन कूद गयी पानी॥२०॥

श्री शंकरहि गहयो जब जाई।पार्वती को सती कराई॥२१॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा।नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥२२॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।बची द्रोपदी होति उघारी॥२३॥
कौरव के भी गति मति मारयो।युद्ध महाभारत करि डारयो॥२४॥

रवि कहं मुख महं धरि तत्काला।लेकर कूदि परयो पाताला॥२५॥
शेष देव-लखि विनती लाई।रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥२६॥

वाहन प्रभु के सात सुजाना।हय दिग्ज गर्दभ मृग स्वाना॥२७॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥२८॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै॥२९॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा।सिंह सिद्धकर राज समाजा॥३०॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥३१॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।चोरी आदि होय डर भारी॥३२॥

तैसहि चारि चरण यह नामा।स्वर्ण लौह चाँजी अरु तामा॥३३॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै॥३४॥

समता ताम्र रजत शुभकारी।स्वर्ण सर्वसुख मंगल कारी॥३५॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै।कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥३६॥

अदभुत नाथ दिखावैं लीला।करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥३७॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।विधिवत शनि ग्रह शान्ति कराई॥३८॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।दीप दान दै बहु सुख पावत॥३९॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥४०॥

॥ दोहा ॥

पाठ शनिश्चर देव को,कीन्हों विमल तैयार।
करत पाठ चालीस दिन,हो भवसागर पार॥

शनि चालीसा कब और क्यों पढ़ी जाती है?

शनि चालीसा का पाठ मुख्य रूप से शनिवार के दिन किया जाता है क्योंकि यह दिन स्वामी शनिदेव को समर्पित माना गया है। इसके अलावा शनि अमावस्या, शनि जयंती, ग्रहण काल, और विशेष ज्योतिषीय स्थितियों में भी इसका पाठ अत्यंत प्रभावी माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में साढ़ेसाती, ढैया, शनि की महादशा या अंतरदशा चल रही हो, तो शनि चालीसा का प्रतिदिन पाठ करने से ग्रहों के दुष्प्रभाव कम होते हैं। जो लोग शनि से संबंधित पीड़ा, बाधाओं या मानसिक तनाव का सामना कर रहे हों, उनके लिए यह पाठ अत्यधिक लाभकारी और शांति प्रदान करने वाला माना जाता है।

शनि चालीसा पाठ के चमत्कारी लाभ

नियमित रूप से शनि चालीसा का पाठ करने से कुंडली में मौजूद शनि दोषों का निवारण होता है और जीवन में चल रहे संकट धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं। यह आर्थिक समस्याओं, धन हानि, बेरोजगारी, व्यापार में रुकावट और करियर की बाधाओं को समाप्त कर सफलता का मार्ग खोलता है। मानसिक तनाव, चिंता और पारिवारिक विवाद जैसे नकारात्मक प्रभाव भी कम होने लगते हैं। इससे स्वास्थ्य में सुधार होता है और गंभीर बीमारियों से बचाव मिलता है। शनि चालीसा न केवल नजर-दोष और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करती है बल्कि शत्रुओं के दुष्प्रभाव, कानूनी परेशानियों और अवरोधों को भी दूर करती है। यह मन में धैर्य, साहस, अनुशासन और आत्मबल को मजबूत बनाती है, जिससे व्यक्ति जीवन की चुनौतियों का सामना सहजता से कर पाता है।

शनि चालीसा पाठ की सही विधि

सुबह स्नान करके स्वच्छ व सात्त्विक वस्त्र पहनें और पूजा स्थान की पवित्रता बनाए रखें। शनिदेव की प्रतिमा या चित्र के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएँ। पूजा के दौरान काले तिल, उड़द, नीले फूल और तेल अर्पित करें। इसके बाद “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जप करें और पूरे ध्यान व भक्ति के साथ शनि चालीसा पढ़ें। चालीसा पाठ के बाद शनिदेव की आरती करें और गुड़-चना या काली उड़द का भोग लगाएँ। अंत में किसी जरूरतमंद को काला तिल, कंबल, तेल या लोहे की वस्तु का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

शनि चालीसा पाठ के नियम

पाठ से पहले शरीर, मन और स्थान की पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। सप्ताह में कम से कम एक बार, विशेषकर शनिवार को चालीसा पढ़ना अत्यंत शुभ माना गया है। पाठ के दौरान सात्त्विकता बनाए रखें और मांसाहार तथा मद्यपान से दूर रहें। चालीसा शांत और एकांत स्थान में पढ़ें ताकि मन एकाग्र रहे। क्रोध, भय और नकारात्मक विचारों से बचें। शनि देव कर्मों के आधार पर फल देते हैं, इसलिए अच्छे कार्य करें, किसी को दुख न पहुँचाएँ और सदैव सत्य के मार्ग पर चलने का संकल्प लें।

शनि चालीसा से किन समस्याओं से मुक्ति मिलती है?

नियमित पाठ से निम्न समस्याओं में राहत मिलती है—

  • साढ़ेसाती और ढैया के कष्ट
  • शनि दोष, महादशा और अंतरदशा
  • आर्थिक संकट, कर्ज और धन हानि
  • नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नजर और शत्रु बाधा
  • कानूनी परेशानियाँ और विवाद
  • स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ
  • नौकरी में असफलता, प्रमोशन में देरी और व्यवसायिक अवरोध

शनि चालीसा इन सभी चुनौतियों को दूर करने में अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।

कौन लोग शनि चालीसा का पाठ अवश्य करें?

जिनकी कुंडली में शनि कमजोर है, नीच का है, या अशुभ भाव में स्थित है—उन्हें यह पाठ ज़रूर करना चाहिए। जो लोग साढ़ेसाती या ढैया के प्रभाव से जूझ रहे हैं, आर्थिक तंगी, व्यापार में नुकसान, बार-बार दुर्घटनाएँ, मानसिक तनाव या पारिवारिक कलह का सामना कर रहे हैं, वे शनि चालीसा से अत्यधिक राहत पा सकते हैं। जिन लोगों को करियर में प्रगति नहीं मिल रही, प्रमोशन अटक रहा है या आत्मविश्वास कम हो गया है, उनके लिए भी यह चालीसा ऊर्जा, साहस और सकारात्मकता का स्रोत है।

प्रसिद्ध “शनि चालीसा” – वीडियो :

आशा है कि यह लेख आपको उपयोगी लगा होगा और इससे शनि देव की कृपा प्राप्त करने के मार्ग और अधिक स्पष्ट हुए होंगे। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो, तो इसे अपने मित्रों और परिवार के साथ ज़रूर साझा करें। नीचे कमेंट में बताएं—आप शनि चालीसा का पाठ किस उद्देश्य से कर रहे हैं और आपको इससे क्या अनुभव प्राप्त हुआ। आपकी प्रतिक्रिया हमें और बेहतर आध्यात्मिक सामग्री लाने के लिए प्रेरित करती है। जय शनिदेव!

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