गीत का सार :
यह गीत एक सच्ची भक्तिन की गहरी आस्था और छठी मईया के प्रति अटूट विश्वास का प्रतीक है। इसमें एक स्त्री पूरे मन से मईया से प्रार्थना करती है कि यह पवित्र व्रत और श्रद्धा कभी उससे न छूटे , चाहे जीवन में कैसी भी परिस्थितियाँ क्यों न आएं। वह कहती है, “कबहुँ ना छूटी छठि मइया हमनी से बरत तोहार,” यानी मईया, आपका व्रत हमारे जीवन का हिस्सा है, इसे निभाना ही हमारी सबसे बड़ी भक्ति है।
भक्तिन का विश्वास अटूट है , उसे भरोसा है कि मईया की कृपा बनी रहेगी और उनके आशीर्वाद से परिवार में सदा सुख-समृद्धि बनी रहेगी। वह मईया से विनती करती है कि हमेशा अपनी शरण में रखें और हज़ारों आशीर्वाद दें, क्योंकि उन्हीं के वरदान से उसकी गोद भरी है और घर में खुशियाँ हैं। भजन में यह भी झलकता है कि चाहे वह देश में रहे या विदेश में, छठ का व्रत वह हर साल पूरे मन से करेगी। यह भाव बिहार और पूरे उत्तर भारत की उस संस्कृति को दर्शाता है, जहाँ छठ पूजा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि पहचान, परंपरा और विश्वास का प्रतीक है।
अंत में वह मईया के घाट पर फल, दऊरा और साज-सज्जा के साथ पहुँचती है, और पूरी श्रद्धा से अर्घ्य अर्पित कर आरती करती है , यही उसके जीवन का सबसे बड़ा संतोष है। इस गीत में भक्ति, समर्पण, कृतज्ञता और संस्कृति के प्रति प्रेम का सुंदर संगम है। यह गीत हमें सिखाता है कि भक्ति स्थान से नहीं, बल्कि मन की सच्ची भावना से जुड़ी होती है , जहाँ भी मईया का नाम लिया जाए, वहीं छठ की पवित्रता बस जाती है।
कबहुँ ना छूटी छठि मइया – गीत
कबहुँ ना छूटी छठि मइया,
हमनी से बरत तोहार
हमनी से बरत तोहार
तहरे भरोसा हमनी के,
छूटी नाही छठ के त्योहार
छूटी नाही छठ के त्योहार
अपने सरन में ही रखिह,
दिह आसिस हज़ार
दिह आसिस हज़ार
गोदिया भराईल छठी मइय्या,
बाटे राऊर किरपा अपार
बाटे राऊर किरपा अपार
चाहें रहब देसवा बिदेसवा,
छठ करब हम हर बार
छठ करब हम हर बार
डूबतो सुरुज के जे पूजे,
इहे बाटे हमर बिहार
इहे बाटे हमर बिहार
फलवा दउरवा सजाके,
अईनी हम घाट पे तोहार
अईनी हम घाट पे तोहार
दिहनी अरघ छठी मईया,
करीं हमर आरती स्वीकार
करीं हमर आरती स्वीकार
कबहुँ ना छूटी छठि मइया,
हमनी से बरत तोहार
हमनी से बरत तोहार
तहरे भरोसा हमनी के,
छूटी नाही छठ के त्योहार
छूटी नाही छठ के त्योहार
छूटी नाही छठ के त्योहार
Kabahu Na Chhuti Chhathi Maiya Lyrics
Kabahu na chhuti Chhathi Maiya,
Hamni se barat tohar,
Hamni se barat tohar,
Tahare bharosa hamni ke,
Chhuti nahi Chhath ke tyohar,
Chhuti nahi Chhath ke tyohar.
Apne saran me hi rakhiha,
Diha aashis hazaar,
Diha aashis hazaar.
Godiya bharaail Chhathi Maiyya,
Baate raur kirpa apaar,
Baate raur kirpa apaar.
Chaahe rahab deswa bideswa,
Chhath karab ham har baar,
Chhath karab ham har baar,
Doobto suruj ke je pooje,
Ihe baate hamar Bihar,
Ihe baate hamar Bihar.
Phalwa daurwa sajake,
Aini ham ghaat pe tohar,
Aini ham ghaat pe tohar,
Dihini aragh Chhathi Maiyya,
Kari hamaar aarti sveekar,
Kari hamaar aarti sveekar.
Kabahu na chhuti Chhathi Maiya,
Hamni se barat tohar,
Hamni se barat tohar,
Tahare bharosa hamni ke,
Chhuti nahi Chhath ke tyohar,
Chhuti nahi Chhath ke tyohar,
Chhuti nahi Chhath ke tyohar.
प्रसिद्ध “ कबहुँ ना छूटी छठि मइया ” – वीडियो :
आशा है कि यह छठ पूजा का यह भक्तिमय गीत आपके दिल को छू गया होगा। इसमें माँ छठी मईया के प्रति समर्पण, विश्वास और परिवार के सुख-समृद्धि की गहरी भावना झलकती है। यह भजन हमें याद दिलाता है कि सच्ची भक्ति दूरी या परिस्थिति नहीं देखती , बस मन की सच्चाई और आस्था देखती है।
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जय छठी मईया! जय सूर्यदेव! 🌞🙏