छठ पूजा: मारबो रे सुगवा धनुख से – (Marbo Re Sugwa Dhanukh Se)

गीत का सार

गीत “मारबो रे सुगवा धनुख से” एक गहरा और भावनात्मक लोकभजन है, जो छठ पूजा की भक्ति, प्रेम और जीवन के सत्य को सुंदर प्रतीकों के माध्यम से प्रकट करता है। इसमें प्रकृति, आस्था और मानवीय भावनाओं का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। भजन में कहा गया है कि जब नारियल, केला, अमरूद और सेव जैसे फल लहलहाते हैं, तो उन पर सुगा (तोता) मंडराने लगता है। यह दृश्य जीवन में समृद्धि, सौभाग्य और प्रेम के आगमन का प्रतीक है। लेकिन जब सुगा झूठी खबर देता है या छल करता है, तब भक्त उसे दंड देने की बात करता है , यह इस बात का संकेत है कि जो व्यक्ति सच्चाई और प्रेम से भटकता है, उसका अंत हमेशा दुखद होता है। आगे जब सुगा मर जाता है, तो उसकी सुगिनी (साथी) वियोग में रोने लगती है, जो विरह और पछतावे की गहरी भावना को दर्शाता है।

गीत के अंत में यह भाव आता है कि जब किसी का अपने प्रिय से वियोग होता है, तब न तो सूर्य देव (आदित्य देव) और न ही अन्य देवता उसकी सहायता कर पाते हैं , अर्थात् वियोग और पीड़ा का समय व्यक्ति को स्वयं सहना पड़ता है। यह गीत सिखाता है कि जीवन में चाहे कैसी भी कठिनाइयाँ आएँ, भक्ति और सत्य के मार्ग से कभी नहीं डिगना चाहिए। “नारियरवा जे फरेला धवद से” केवल एक लोकगीत नहीं, बल्कि भक्ति, प्रेम, वियोग और जीवन की गहराइयों को स्पर्श करने वाला एक भावपूर्ण गीत है, जो मनुष्य को निष्ठा और सच्चाई के महत्व का संदेश देता है।

मारबो रे सुगवा धनुख से – गीत

नारियरवा जे फरेला धवद से
ओह पर सुगा मेड़राए
ओह पर सुगा मेड़राए
उ जे खबरि जनैबो आदित से
सुगा दिहेन जुठियाय
सुगा दिहेन जुठियाय
ऊ जे मारबो रे सुगवा धनुख से
सुगा गिरे मुरझाए
सुगा गिरे मुरझाए

ऊ जे केरवा जे फरेला धवद से
ओह पर सुगा मेड़राए
ओह पर सुगा मेड़राए
ऊ जे खबरि जनैबो आदित से
सुगा दिले जुठियाय
सुगा दिले जुठियाय
ऊ जे मारबो रे सुगवा धनुख से
सुगा गिरे मुरझाए
सुगा गिरे मुरझाए

अमरूदवा जे फरेला धवद से
ओह पर सुगा मेड़राए
ओह पर सुगा मेड़राए
ऊ जे खबरि जनैबो आदित से
सुगा दिले जुठियाय
सुगा दिले जुठियाय
ऊ जे मारबो रे सुगवा धनुख से
सुगा गिरे मुरझाए
सुगा गिरे मुरझाए

ऊ जे सेउवा जे फरेला धवद से
ओह पर सुगा मेड़राए
ओह पर सुगा मेड़राए
ऊ जे खबरि जनैबो आदित से
सुगा दिले जुठियाय
सुगा दिले जुठियाय
ऊ जे मारबो रे सुगवा धनुख से
सुगा गिरे मुरझाए
सुगा गिरे मुरझाए

सबे फल जे फरेलन धवद से
ओह पर सुगा मेड़राए
ओह पर सुगा मेड़राए
ऊ जे मारबो रे सुगवा धनुख से
सुगा गिरे मुरझाए
सुगा गिरे मुरझाए
ऊ जे सुगिनी जे रोवेले वियोग से
आदित होई ना सहाय
आदित होई ना सहाय
आदित होई ना सहाय
देव होई ना सहाय
आदित होई ना सहाय
देव होई ना सहाय

Maarbo Re Sugva Dhanukh Se Bhojpuri Chhath Geet

Narierwa je pharela dhavad se
Oh par suga medraaye
Oh par suga medraaye
U je khabari janaibo Aadit se
Suga dihen juthiyaay
Suga dihen juthiyaay
U je marbo re sugwa dhanukh se
Suga gire murjhaaye
Suga gire murjhaaye

U je kerwa je pharela dhavad se
Oh par suga medraaye
Oh par suga medraaye
U je khabari janaibo Aadit se
Suga dihle juthiyaay
Suga dihle juthiyaay
U je marbo re sugwa dhanukh se
Suga gire murjhaaye
Suga gire murjhaaye

Amrudwa je pharela dhavad se
Oh par suga medraaye
Oh par suga medraaye
U je khabari janaibo Aadit se
Suga dihle juthiyaay
Suga dihle juthiyaay
U je marbo re sugwa dhanukh se
Suga gire murjhaaye
Suga gire murjhaaye

U je seuwa je pharela dhavad se
Oh par suga medraaye
Oh par suga medraaye
U je khabari janaibo Aadit se
Suga dihle juthiyaay
Suga dihle juthiyaay
U je marbo re sugwa dhanukh se
Suga gire murjhaaye
Suga gire murjhaaye

Sabe phal je pharelan dhavad se
Oh par suga medraaye
Oh par suga medraaye
U je marbo re sugwa dhanukh se
Suga gire murjhaaye
Suga gire murjhaaye
U je sugini je rovele viyog se
Aadit hoee na sahay
Aadit hoee na sahay
Aadit hoee na sahay
Dev hoee na sahay
Aadit hoee na sahay
Dev hoee na sahay

प्रसिद्ध “ मारबो रे सुगवा धनुख से ” – वीडियो :

आशा है कि यह लोकभक्ति से भरपूर पारंपरिक भजन “मारबो रे सुगवा धनुख से” आपके हृदय को भक्ति और भावनाओं से स्पंदित कर गया होगा। इस गीत में लोकजीवन की सादगी, प्रेम, वियोग और आस्था की गहराई झलकती है, जो छठ पूजा की पवित्रता को और भी उजागर करती है। यदि आपको यह भजन और इसका भावनात्मक सार पसंद आया हो, तो कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में साझा करें। इसे अपने प्रियजनों और सोशल मीडिया पर जरूर फैलाएं, ताकि माँ छठी मईया की महिमा और इस लोकगीत की आत्मा हर हृदय तक पहुँच सके।

जय छठी मईया! जय सूर्यदेव! 🌞🙏

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