हनुमान बालाजी चालीसा सारांश
बालाजी चालीसा में भगवान हनुमानजी के मैंहदीपुर धाम में बाल रूप में अवतार लेने की महिमा का वर्णन किया गया है। यह चालीसा केवल एक स्तुति नहीं, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और संकट मुक्ति का दिव्य मार्ग है।
चालीसा की शुरुआत गुरु और श्री हनुमानजी के ध्यान से होती है। कवि अपने आराध्य बालाजी को प्रणाम करते हुए कहता है कि वे संकट हरने वाले, वरदान देने वाले भगवान हैं जो मैंहदीपुर धाम में प्रकट होकर भक्तों का उद्धार करते हैं। चालीसा में वर्णित है कि बालाजी भगवान हनुमानजी तीनों देवताओं (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के साक्षात रूप में मैंहदीपुर धाम में प्रकट हुए। यहाँ वे भूत-प्रेत, बाधा, रोग, और संकटों से भक्तों की रक्षा करते हैं। भैरव बाबा उनके सहायक के रूप में कोतवाल और कप्तान हैं, जो नकारात्मक शक्तियों को तुरंत नष्ट कर देते हैं। यहाँ आने वाला हर भक्त, चाहे उसके ऊपर कितना भी संकट क्यों न हो — भूत, प्रेत, डाकिनी, शाकिनी, चुड़ैल या मानसिक क्लेश — बालाजी के दरबार में आने पर मुक्त हो जाता है।
चालीसा में बताया गया है कि मैंहदीपुर धाम का दरबार सच्चा और जाग्रत स्थान है। यहाँ आने वाले भक्त की हर मनोकामना पूर्ण होती है। बालाजी का तेज सूर्य के समान है, उनके मुकुट से दिव्य प्रकाश फैलता है। धाम में ऊँची पताका और स्वर्ण कलश धर्म और सत्य की विजय का प्रतीक हैं। भगवान हनुमानजी ने बचपन में ही सूर्य को निगल लिया था, जिससे सम्पूर्ण सृष्टि अंधकारमय हो गई थी। देवताओं की विनती पर उन्होंने सूर्य को छोड़ा, जिससे संसार में प्रकाश लौटा। उन्होंने समुद्र लांघकर माता सीता की खबर लाकर, लक्ष्मणजी को संजीवनी देकर, और रामभक्ति का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत कर स्वयं को “भवसागर के उद्धारक” सिद्ध किया।
बालाजी चालीसा में वर्णित है कि जो भक्त सच्चे मन से उनका स्मरण करते हैं, उन्हें अष्ट सिद्धि, नव निधि, सुख, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
जो बालाजी के दरबार में लड्डू, चूरमा, मिश्री और मेवा का भोग लगाते हैं, उनकी सभी इच्छाएँ और मनोरथ पूर्ण होते हैं। यह भी कहा गया है कि भक्त की अर्जी लगने पर भैरव बाबा और प्रेतराज स्वयं सक्रिय होकर उसके कष्टों का अंत कर देते हैं। जो व्यक्ति बालाजी चालीसा का नित्य श्रद्धा से पाठ करता है, उसके जीवन के सभी पाप और कष्ट नष्ट हो जाते हैं। बालाजी अपने भक्तों के कर्मबंधन तोड़ते हैं, घर में शांति लाते हैं, और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। कवि अपनी अज्ञानता स्वीकार करते हुए भगवान से क्षमा माँगता है और विनती करता है कि “हे संकटमोचन बालाजी! अपने दास पर दया करें, मेरे अपराध क्षमा करें और मेरे जीवन को कल्याणमय बना दें।”
यह चालीसा हमें सिखाती है कि सच्चे मन, निष्ठा और श्रद्धा से की गई भक्ति से कोई भी संकट स्थायी नहीं रहता। मैंहदीपुर बालाजी आज भी जाग्रत हैं और जो भी उनके दरबार में आता है, वह भय, रोग, दुख और मानसिक तनाव से मुक्त होकर लौटता है।
॥ दोहा ॥
श्री गुरु चरण चितलाय,के धरें ध्यान हनुमान।
बालाजी चालीसा लिखे,दास स्नेही कल्याण॥
विश्व विदित वर दानी,संकट हरण हनुमान।
मैंहदीपुर में प्रगट भये,बालाजी भगवान॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान बालाजी देवा।प्रगट भये यहां तीनों देवा॥१॥
प्रेतराज भैरव बलवाना।कोतवाल कप्तानी हनुमाना॥२॥
मैंहदीपुर अवतार लिया है।भक्तों का उध्दार किया है॥३॥
बालरूप प्रगटे हैं यहां पर।संकट वाले आते जहाँ पर॥४॥
डाकनि शाकनि अरु जिन्दनीं।मशान चुड़ैल भूत भूतनीं॥५॥
जाके भय ते सब भाग जाते।स्याने भोपे यहाँ घबराते॥६॥
चौकी बन्धन सब कट जाते।दूत मिले आनन्द मनाते॥७॥
सच्चा है दरबार तिहारा।शरण पड़े सुख पावे भारा॥८॥
रूप तेज बल अतुलित धामा।सन्मुख जिनके सिय रामा॥९॥
कनक मुकुट मणि तेज प्रकाशा।सबकी होवत पूर्ण आशा॥१०॥
महन्त गणेशपुरी गुणीले।भये सुसेवक राम रंगीले॥११॥
अद्भुत कला दिखाई कैसी।कलयुग ज्योति जलाई जैसी॥१२॥
ऊँची ध्वजा पताका नभ में।स्वर्ण कलश हैं उन्नत जग में॥१३॥
धर्म सत्य का डंका बाजे।सियाराम जय शंकर राजे॥१४॥
आन फिराया मुगदर घोटा।भूत जिन्द पर पड़ते सोटा॥१५॥
राम लक्ष्मन सिय हृदय कल्याणा।बाल रूप प्रगटे हनुमाना॥१६॥
जय हनुमन्त हठीले देवा।पुरी परिवार करत हैं सेवा॥१७॥
लड्डू चूरमा मिश्री मेवा।अर्जी दरखास्त लगाऊ देवा॥१८॥
दया करे सब विधि बालाजी।संकट हरण प्रगटे बालाजी॥१९॥
जय बाबा की जन जन ऊचारे।कोटिक जन तेरे आये द्वारे॥२०॥
बाल समय रवि भक्षहि लीन्हा।तिमिर मय जग कीन्हो तीन्हा॥२१॥
देवन विनती की अति भारी।छाँड़ दियो रवि कष्ट निहारी॥२२॥
लांघि उदधि सिया सुधि लाये।लक्ष्मन हित संजीवन लाये॥२३॥
रामानुज प्राण दिवाकर।शंकर सुवन माँ अंजनी चाकर॥२४॥
केशरी नन्दन दुख भव भंजन।रामानन्द सदा सुख सन्दन॥२५॥
सिया राम के प्राण पियारे।जब बाबा की भक्त ऊचारे॥२६॥
संकट दुख भंजन भगवाना।दया करहु हे कृपा निधाना॥२७॥
सुमर बाल रूप कल्याणा।करे मनोरथ पूर्ण कामा॥२८॥
अष्ट सिद्धि नव निधि दातारी।भक्त जन आवे बहु भारी॥२९॥
मेवा अरु मिष्ठान प्रवीना।भैंट चढ़ावें धनि अरु दीना॥३०॥
नृत्य करे नित न्यारे न्यारे।रिद्धि सिद्धियां जाके द्वारे॥३१॥
अर्जी का आदेश मिलते ही।भैरव भूत पकड़ते तबही॥३२॥
कोतवाल कप्तान कृपाणी।प्रेतराज संकट कल्याणी॥३३॥
चौकी बन्धन कटते भाई।जो जन करते हैं सेवकाई॥३४॥
रामदास बाल भगवन्ता।मैंहदीपुर प्रगटे हनुमन्ता॥३५॥
जो जन बालाजी में आते।जन्म जन्म के पाप नशाते॥३६॥
जल पावन लेकर घर जाते।निर्मल हो आनन्द मनाते॥३७॥
क्रूर कठिन संकट भग जावे।सत्य धर्म पथ राह दिखावे॥३८॥
जो सत पाठ करे चालीसा।तापर प्रसन्न होय बागीसा॥३९॥
कल्याण स्नेही, स्नेह से गावे।सुख समृद्धि रिद्धि सिद्धि पावे॥४०॥
॥ दोहा ॥
मन्द बुद्धि मम जानके,क्षमा करो गुणखान।
संकट मोचन क्षमहु मम,दास स्नेही कल्याण॥
जानिए क्यों करें मेहंदीपुर बालाजी चालीसा का पाठ
मेहंदीपुर बालाजी चालीसा का पाठ एक ऐसी आध्यात्मिक साधना है जो भक्त को न केवल भूत-प्रेत, नज़र दोष या तांत्रिक प्रभावों से रक्षा देती है, बल्कि जीवन में शांति, साहस और आत्मविश्वास भी प्रदान करती है। यह चालीसा भगवान हनुमान के स्वरूप मेहंदीपुर बालाजी की आराधना का सशक्त माध्यम है, जो हर प्रकार की नकारात्मक शक्तियों को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
🔸 बुरी शक्तियों से रक्षा
मेहंदीपुर बालाजी को उन सभी नकारात्मक शक्तियों से मुक्त करने वाला देवता माना जाता है जो व्यक्ति के जीवन में भय या बाधा उत्पन्न करती हैं। नियमित रूप से बालाजी चालीसा का पाठ करने से भूत-प्रेत, नज़र दोष और तांत्रिक प्रभाव समाप्त होते हैं तथा घर-परिवार में शांति और सुरक्षा बनी रहती है।
🔸 संकटों से सुरक्षा
भक्तिपूर्वक किया गया चालीसा पाठ जीवन के संकटों से सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है। जो व्यक्ति श्रद्धा और सच्चे मन से इस चालीसा का पाठ करता है, उसे बालाजी महाराज की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की अनेक बाधाएँ स्वतः दूर होने लगती हैं।
🔸 आत्मबल और हिम्मत में वृद्धि
हनुमान जी को बल, साहस और निडरता का प्रतीक माना जाता है। बालाजी चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति में आत्मबल, हिम्मत और आत्मविश्वास का संचार करता है, जिससे वह जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना दृढ़ता से कर पाता है।
🔸 मन की शांति और भय से मुक्ति
यदि मन बेचैन रहता है, भय या अस्थिरता महसूस होती है, तो बालाजी चालीसा का पाठ मानसिक शांति प्रदान करता है। इसके पाठ से व्यक्ति के भीतर का डर समाप्त होता है, और आत्मिक संतुलन स्थापित होता है।
🔸 भक्ति और आस्था में वृद्धि
बालाजी चालीसा का पाठ न केवल आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम है, बल्कि यह भक्ति और आस्था को भी गहराई प्रदान करता है। इससे व्यक्ति के भीतर सकारात्मकता, श्रद्धा और ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास विकसित होता है।
🌺 मेहंदीपुर बालाजी चालीसा पाठ की विधि और नियम
1. स्नान करके करें पाठ
पाठ आरंभ करने से पहले शरीर की शुद्धि अत्यंत आवश्यक है। स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें ताकि मन और तन दोनों पवित्र रहें।
2. शुद्ध आहार के बाद ही करें पाठ
जिस दिन आपने प्याज, लहसुन, मांसाहार या मद्य का सेवन किया हो, उस दिन चालीसा का पाठ न करें। शुद्ध आहार और पवित्र मन ही पाठ के पूर्ण फल का आधार हैं।
3. अंदर और बाहर दोनों तरह से शुद्ध रहें
केवल शरीर ही नहीं, विचार और भावना भी निर्मल होनी चाहिए। बालाजी की कृपा पाने के लिए हृदय में सच्चाई, श्रद्धा और सेवा भाव होना आवश्यक है।
4. एकाग्रता और श्रद्धा के साथ पाठ करें
चालीसा पढ़ते समय मन को विचलित न होने दें। पूरे मनोयोग और भक्ति भाव से पाठ करें, तभी उसका प्रभाव जीवन में सुखद परिणाम लाएगा।
🌼 मेहंदीपुर बालाजी चालीसा के लाभ
- बालाजी चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- जीवन के संकट और कठिन परिस्थितियाँ धीरे-धीरे समाप्त होती हैं।
- यह चालीसा मानसिक शांति, स्थिरता और सकारात्मक सोच प्रदान करती है।
- भय, चिंता और नकारात्मक विचारों से मुक्ति पाने में सहायक है।
- जब जीवन में कोई मार्ग न दिखे, तब यह चालीसा मार्गदर्शक बनती है।
- नियमित पाठ आत्मविश्वास और आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाता है।
🙏 निष्कर्ष:
मेहंदीपुर बालाजी चालीसा केवल एक पाठ नहीं, बल्कि एक दिव्य साधना है जो आत्मा को शुद्ध करती है और जीवन में संतुलन व साहस लाती है। जो भक्त सच्चे मन से इसका पाठ करते हैं, वे न केवल अपने भीतर की नकारात्मकता को मिटाते हैं, बल्कि बालाजी महाराज की कृपा से जीवन में सुख, शांति और सफलता का अनुभव भी करते हैं।
प्रसिद्ध “मेहंदीपुर बालाजी चालीसा” – वीडियो :
🙏 यदि आप भी जीवन में किसी कठिनाई या भय से गुजर रहे हैं, तो हनुमान बालाजी का नाम लें और श्रद्धा से बालाजी चालीसा का पाठ करें।
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जय श्री बालाजी महाराज की! जय हनुमान जी की! 🚩