श्री गणेश के 108 नामों का महत्व – 108 Names of Lord Ganesha Importance
भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है, के 108 नामों का हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इन्हें “गणेश अष्टोत्तरशत नामावली” कहा जाता है। ये नाम उनके विभिन्न गुणों, शक्तियों और दिव्य स्वरूप को दर्शाते हैं। इनका जाप करने से भक्तों को बुद्धि, समृद्धि और विघ्नों से मुक्ति मिलती है। नीचे इनके महत्व को विस्तार से समझाया गया है:
- दिव्य गुणों का प्रतीक:
गणेश के 108 नाम उनके विविध गुणों जैसे बुद्धि, शक्ति, करुणा और विघ्न नाशक शक्ति को प्रकट करते हैं। उदाहरण के लिए, “गणपति” (गणों का स्वामी) उनकी नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है, जबकि “विघ्नहर्ता” (विघ्नों का नाश करने वाला) उनकी रक्षक प्रकृति को दर्शाता है। - संख्या 108 की पवित्रता:
हिंदू धर्म में 108 को एक पवित्र संख्या माना जाता है। इसका महत्व कई स्तरों पर है:- यह सृष्टि की एकता (1), शून्यता (0), और अनंतता (8) का प्रतीक है।
- ज्योतिष में 12 राशियाँ और 9 ग्रहों का गुणनफल (12 × 9 = 108) इसे विशेष बनाता है।
- योग शास्त्र में 108 नाड़ियों का उल्लेख है, जो शरीर के ऊर्जा केंद्रों को जोड़ती हैं।
- आध्यात्मिक शक्ति और भक्ति:
इन नामों का जाप करने से मन एकाग्र होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। प्रत्येक नाम एक मंत्र के रूप में कार्य करता है, जो गणेश की शक्ति को जागृत करता है। “ॐ गं गणपतये नमः” मूल मंत्र है, और इसी तरह प्रत्येक नाम के साथ “ॐ” और “नमः” जोड़कर जाप करने से विशेष फल मिलता है। - विघ्नों से मुक्ति:
गणेश को सभी कार्यों की शुरुआत में पूजा जाता है। उनके 108 नामों का पाठ करने से जीवन के सभी अवरोध और संकट दूर होते हैं। “एकदंत” (एक दांत वाला) और “लंबोदर” (बड़े पेट वाला) जैसे नाम उनके अनूठे स्वरूप और शक्ति को दर्शाते हैं। - सर्वकल्याणकारी प्रभाव:
इन नामों का नियमित जाप करने से भक्तों को बुद्धि, धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह जीवन में सफलता और शांति लाता है। खासकर नए कार्यों की शुरुआत में इनका जाप शुभ माना जाता है। - सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा:
गणेश के 108 नामों का उल्लेख गणेश पुराण और अन्य ग्रंथों में मिलता है। यह प्राचीन परंपरा गणेश चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी और बुधवार जैसे विशेष अवसरों पर लोकप्रिय है। भक्त इन नामों का जाप कर गणेश की कृपा प्राप्त करते हैं। - ज्ञान और समृद्धि का स्रोत:
गणेश को बुद्धि और विद्या का दाता माना जाता है। उनके नामों का जाप करने से मानसिक स्पष्टता, रचनात्मकता और समस्याओं को सुलझाने की क्षमता बढ़ती है। “सिद्धिविनायक” (सिद्धि देने वाला) नाम विशेष रूप से सफलता और उपलब्धियों के लिए प्रसिद्ध है।
निष्कर्ष:
गणेश के 108 नाम केवल शब्द नहीं, बल्कि उनकी अनंत शक्ति और कृपा के प्रतीक हैं। इनका जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से भक्त अपने जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर सकते हैं और गणेश का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। यह एक ऐसा आध्यात्मिक अभ्यास है जो जीवन को सकारात्मकता, शांति और समृद्धि से भर देता है।
यहाँ गणेश जी के 108 नाम (Ganpati 108 Names) और उनके मंत्रों की सूची प्रस्तुत है।
108 Names of Lord Ganesha – Ganesha Ashtottara Shatnamavali
क्रमांक | नाम (संस्कृत) | मंत्र | Mantra in English | अर्थ |
१ | गजानन | ॐ गजाननाय नमः । | Om Gajananaya Namah। | जो गज के समान मुख वाले हैं |
२ | गणाध्यक्ष | ॐ गणाध्यक्षाय नमः । | Om Ganadhyakshaya Namah। | जो देवगणों के स्वामी हैं |
३ | विघ्नराज | ॐ विघ्नराजाय नमः । | Om Vighnarajaya Namah। | जो विघ्नों को दूर करने वाले एवं विघ्नों के स्वामी हैं |
४ | विनायक | ॐ विनायकाय नमः । | Om Vinayakaya Namah। | जो समस्त प्राणियों के स्वामी हैं |
५ | द्वैमातुर | ॐ द्वैमातुराय नमः । | Om Dvaimaturaya Namah। | जो दो माताओं वाले हैं |
६ | द्विमुख | ॐ द्विमुखाय नमः । | Om Dwimukhaya Namah। | जो दो मुखों वाले हैं |
७ | प्रमुख | ॐ प्रमुखाय नमः । | Om Pramukhaya Namah। | जो सृष्टि के मुख्य देव हैं |
८ | सुमुख | ॐ सुमुखाय नमः । | Om Sumukhaya Namah। | जो सुन्दर मुख वाले हैं |
९ | कृती | ॐ कृतिने नमः । | Om Kritine Namah। | जो स्वयं सृष्टि स्वरूप हैं |
१० | सुप्रदीप | ॐ सुप्रदीपाय नमः । | Om Supradipaya Namah। | जो अज्ञान रूपी अन्धकार को नष्ट करने वाले हैं |
११ | सुखनिधि | ॐ सुखनिधये नमः । | Om Sukhanidhaye Namah। | जो सुख के सागर एवं सुख प्रदान करने वाले हैं |
१२ | सुराध्यक्ष | ॐ सुराध्यक्षाय नमः । | Om Suradhyakshaya Namah। | जो देवताओं के अधिपति हैं |
१३ | सुरारिघ्न | ॐ सुरारिघ्नाय नमः । | Om Surarighnaya Namah। | जो देवों के शत्रुओं का संहार करने वाले हैं |
१४ | महागणपति | ॐ महागणपतये नमः । | Om Mahaganapataye Namah। | जो सर्वोच्च एवं सर्वशक्तिमान हैं |
१५ | मान्य | ॐ मान्याय नमः । | Om Manyaya Namah। | जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में मान्य (पूज्य) हैं |
१६ | महाकाल | ॐ महाकालाय नमः । | Om Mahakalaya Namah। | जो काल (समय / मृत्यु) के स्वामी हैं |
१७ | महाबल | ॐ महाबलाय नमः । | Om Mahabalaya Namah। | जो अत्यधिक बलशाली हैं |
१८ | हेरम्ब | ॐ हेरम्बाय नमः । | Om Herambaya Namah। | जो माता के प्रिय पुत्र हैं |
१९ | लम्बजठर | ॐ लम्बजठराय नमः । | Om Lambajatharaya Namah। | जो लम्बे पेट वाले हैं |
२० | ह्रस्वग्रीव | ॐ ह्रस्वग्रीवाय नमः । | Om Hraswagrivaya Namah। | जो छोटी गर्दन वाले हैं |
२१ | महोदर | ॐ महोदराय नमः । | Om Mahodaraya Namah। | जो विशाल पेट वाले हैं |
२२ | मदोत्कट | ॐ मदोत्कटाय नमः । | Om Madotkataya Namah। | जो सदैव उन्मुक्त रहने वाले हैं |
२३ | महावीर | ॐ महावीराय नमः । | Om Mahaviraya Namah। | जो अत्यन्त वीर एवं पराक्रमी हैं |
२४ | मन्त्री | ॐ मन्त्रिणे नमः । | Om Mantrine Namah। | जो समस्त मन्त्रों के ज्ञाता एवं स्वामी हैं |
२५ | मङ्गलस्वर | ॐ मङ्गलस्वराय नमः । | Om Mangalaswaraya Namah। | जिनका स्वर अत्यन्त मङ्गलमय है |
२६ | प्रमध | ॐ प्रमधाय नमः । | Om Pramadhaya Namah। | जो सृष्टि के समस्त अवयवों के मूल हैं |
२७ | प्रथम | ॐ प्रथमाय नमः । | Om Prathamaya Namah। | जो सर्वप्रथम पूजे जाने वाले हैं |
२८ | प्राज्ञ | ॐ प्राज्ञाय नमः । | Om Prajnaya Namah। | जो अत्यधिक बुद्धिमान हैं |
२९ | विघ्नकर्ता | ॐ विघ्नकर्त्रे नमः । | Om Vighnakartre Namah। | जो विघ्न उत्पन्न करने वाले हैं |
३० | विघ्नहर्ता | ॐ विघ्नहर्त्रे नमः । | Om Vignahartre Namah। | जो विघ्न नष्ट करने वाले हैं |
३१ | विश्वनेता | ॐ विश्वनेत्रे नमः । | Om Vishwanetre Namah। | जो सम्पूर्ण सृष्टि पर अपनी दृष्टि रखने वाले हैं |
३२ | विराट्पति | ॐ विराट्पतये नमः । | Om Viratpataye Namah। | जो विराट् सृष्टि के स्वामी हैं |
३३ | श्रीपति | ॐ श्रीपतये नमः । | Om Shripataye Namah। | जो सौभाग्य प्रदान करने वाले हैं |
३४ | वाक्पति | ॐ वाक्पतये नमः । | Om Vakpataye Namah। | जो वाणी के देवता हैं |
३५ | शृङ्गारी | ॐ शृङ्गारिणे नमः । | Om Shringarine Namah। | जो लाल सिन्दूर से सुशोभित हैं |
३६ | अश्रितवत्सल | ॐ अश्रितवत्सलाय नमः । | Om Ashritavatsalaya Namah। | जो शरणार्थियों पर करुणा करने वाले हैं |
३७ | शिवप्रिय | ॐ शिवप्रियाय नमः । | Om Shivapriyaya Namah। | जो भगवान शिव को अति प्रिय हैं |
३८ | शीघ्रकारी | ॐ शीघ्रकारिणे नमः । | Om Shighrakarine Namah। | जो शीघ्र मनोकामना पूर्ण करने वाले हैं |
३९ | शाश्वत | ॐ शाश्वताय नमः । | Om Shashwataya Namah। | जो अपरिवर्तनशील एवं अविनाशी हैं |
४० | बल | ॐ बलाय नमः । | Om Balaya Namah। | जो स्वयं बल स्वरूप हैं |
४१ | बलोत्थित | ॐ बलोत्थिताय नमः । | Om Balotthitaya Namah। | जिनके बल में निरन्तर वृद्धि होती है |
४२ | भवात्मज | ॐ भवात्मजाय नमः । | Om Bhavatmajaya Namah। | जो सृष्टि के पुत्र के रूप में पूजे जाने वाले हैं |
४३ | पुराणपुरुष | ॐ पुराणपुरुषाय नमः । | Om Puranapurushaya Namah। | जो आदि पुरुष एवं पुराणों के ज्ञाता हैं |
४४ | पूषा | ॐ पूष्णे नमः । | Om Pushne Namah। | जो प्राणियों का पोषण करने वाले हैं |
४५ | पुष्करोत्षिप्तवारी | ॐ पुष्करोत्षिप्तवारिणे नमः । | Om Pushkarotshiptavarine Namah। | जो कमल पुष्पयुक्त सरोवर में क्रीडा करने वाले हैं |
४६ | अग्रगण्य | ॐ अग्रगण्याय नमः । | Om Agraganyaya Namah। | जो सभी देवगणों में श्रेष्ठ हैं |
४७ | अग्रपूज्य | ॐ अग्रपूज्याय नमः । | Om Agrapujyaya Namah। | सर्वप्रथम जिनकी पूजा की जाती है |
४८ | अग्रगामी | ॐ अग्रगामिने नमः । | Om Agragamine Namah। | जो नेतृत्व एवं मार्गदर्शन करने वाले हैं |
४९ | मन्त्रकृत् | ॐ मन्त्रकृते नमः । | Om Mantrakrite Namah। | जो मन्त्रों की रचना करने वाले हैं |
५० | चामीकरप्रभ | ॐ चामीकरप्रभाय नमः । | Om Chamikaraprabhaya Namah। | जो सूर्य के समान आभामण्डल वाले हैं |
५१ | सर्व | ॐ सर्वाय नमः । | Om Sarvaya Namah। | जो सम्पूर्ण सृष्टि के स्वरूप में स्थित हैं |
५२ | सर्वोपास्य | ॐ सर्वोपास्याय नमः । | Om Sarvopasyaya Namah। | जो समस्त सृष्टि में पूज्य हैं |
५३ | सर्वकर्ता | ॐ सर्वकर्त्रे नमः । | Om Sarvakartre Namah। | जो समस्त कार्यों के कर्ता एवं नियन्त्रक हैं |
५४ | सर्वनेता | ॐ सर्वनेत्रे नमः । | Om Sarvanetre Namah। | जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की गतिविधियों पर दृष्टि रखने वाले हैं |
५५ | सर्वसिद्धिप्रद | ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः । | Om Sarvasiddhipradaya Namah। | जो समस्त प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करने वाले हैं |
५६ | सिद्धि | ॐ सिद्धये नमः । | Om Siddhaye Namah। | जो स्वयं सिद्ध हैं |
५७ | पञ्चहस्त | ॐ पञ्चहस्ताय नमः । | Om Panchahastaya Namah। | जो पाँच हाथों (चार हाथ एवं एक सूँड) वाले हैं |
५८ | पार्वतीनन्दन | ॐ पार्वतीनन्दनाय नमः । | Om Parvatinandanaya Namah। | जो माता पार्वती के प्रिय पुत्र हैं |
५९ | प्रभु | ॐ प्रभवे नमः । | Om Prabhave Namah। | जो सम्पूर्ण चराचर जगत के आदि स्रोत हैं |
६० | कुमारगुरु | ॐ कुमारगुरवे नमः । | Om Kumaragurave Namah। | जो कुमार (कार्तिकेय) के गुरु हैं |
६१ | अक्षोभ्य | ॐ अक्षोभ्याय नमः । | Om Akshobhyaya Namah। | जो अभेद्य एवं अनश्वर हैं |
६२ | कुञ्जरासुरभञ्जन | ॐ कुञ्जरासुरभञ्जनाय नमः । | Om Kunjarasurabhanjanaya Namah। | जो कुञ्जरासुर का वध करने वाले हैं |
६३ | प्रमोद | ॐ प्रमोदाय नमः । | Om Pramodaya Namah। | जो सदैव प्रसन्न रहने वाले हैं |
६४ | मोदकप्रिय | ॐ मोदकप्रियाय नमः । | Om Modakapriyaya Namah। | जिन्हें मोदक अत्यन्त प्रिय हैं |
६५ | कान्तिमान् | ॐ कान्तिमते नमः । | Om Kantimate Namah। | जिनके मुखमण्डल पर अद्भुत तेज विद्यमान है |
६६ | धृतिमान् | ॐ धृतिमते नमः । | Om Dhritimate Namah। | जो धैर्यशाली एवं दृढ हैं |
६७ | कामी | ॐ कामिने नमः । | Om Kamine Namah। | जो कामनाओं की पूर्ति करने वाले हैं |
६८ | कपित्थपनसप्रिय | ॐ कपित्थपनसप्रियाय नमः । | Om Kapitthapanasapriyaya Namah। | जिन्हें कपित्थ (कैथा) एवं पनस (कटहल) के फल प्रिय हैं |
६९ | ब्रह्मचारी | ॐ ब्रह्मचारिणे नमः । | Om Brahmacharine Namah। | जो ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने वाले हैं |
७० | ब्रह्मरूपी | ॐ ब्रह्मरूपिणे नमः । | Om Brahmarupine Namah। | जो स्वयं ब्रह्म स्वरूप हैं |
७१ | ब्रह्मविद्यादिदानभू | ॐ ब्रह्मविद्यादिदानभुवे नमः । | Om Brahmavidyadidanabhuve Namah। | जो ब्रह्मविद्या के स्वामी एवं दाता हैं |
७२ | जिष्णु | ॐ जिष्णवे नमः । | Om Jishnave Namah। | जो सदैव विजय प्राप्त करने वाले हैं |
७३ | विष्णुप्रिय | ॐ विष्णुप्रियाय नमः । | Om Vishnupriyaya Namah। | जो भगवान विष्णु को प्रिय हैं |
७४ | भक्तजीवित | ॐ भक्तजीविताय नमः । | Om Bhaktajivitaya Namah। | जो भक्तों के जीवन की रक्षा करने वाले हैं |
७५ | जितमन्मथ | ॐ जितमन्मथाय नमः । | Om Jitamanmathaya Namah। | जो मन एवं इन्द्रियों को वश में करने वाले हैं |
७६ | ऐश्वर्यकारण | ॐ ऐश्वर्यकारणाय नमः । | Om Aishwaryakaranaya Namah। | जो ऐश्वर्य के स्वामी एवं दाता हैं |
७७ | ज्यायस् | ॐ ज्यायसे नमः । | Om Jyayase Namah। | जो सर्वोच्च एवं सर्वश्रेष्ठ हैं |
७८ | यक्षकिन्नरसेवित | ॐ यक्षकिन्नरसेविताय नमः । | Om Yakshakinnarasevitaya Namah। | यक्ष एवं किन्नर जिनकी सेवा में तत्पर हैं |
७९ | गङ्गासुत | ॐ गङ्गासुताय नमः । | Om Gangasutaya Namah। | जो माँ गङ्गा के पुत्र हैं |
८० | गणाधीश | ॐ गणाधीशाय नमः । | Om Ganadhishaya Namah। | जो समस्त गणों के अधिपति एवं नायक हैं |
८१ | गम्भीरनिनद | ॐ गम्भीरनिनदाय नमः । | Om Gambhiraninadaya Namah। | जो गम्भीर नाद उत्पन्न करने वाले हैं |
८२ | वटु | ॐ वटवे नमः । | Om Vatave Namah। | जो बालस्वरूप में विराजमान हैं |
८३ | अभीष्टवरद | ॐ अभीष्टवरदाय नमः । | Om Abhishtavaradaya Namah। | जो मनोवाञ्छित वर प्रदान करने वाले हैं |
८४ | ज्योतिस् | ॐ ज्योतिषे नमः । | Om Jyotishe Namah। | जो ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता हैं |
८५ | भक्तनिधि | ॐ भक्तनिधये नमः । | Om Bhaktanidhaye Namah। | जो भक्तों के सर्वस्व हैं |
८६ | भावगम्य | ॐ भावगम्याय नमः । | Om Bhavagamyaya Namah। | जिन्हें मात्र भक्तिभाव द्वारा प्राप्त करना सम्भव है |
८७ | मङ्गलप्रद | ॐ मङ्गलप्रदाय नमः । | Om Mangalapradaya Namah। | जो जीवन में मङ्गल प्रदान करने वाले हैं |
८८ | अव्यक्त | ॐ अव्यक्ताय नमः । | Om Avyaktaya Namah। | मूल प्रकृति जिनसे सम्पूर्ण सृष्टि उत्पन्न हुई है |
८९ | अप्राकृतपराक्रम | ॐ अप्राकृतपराक्रमाय नमः । | Om Aprakritaparakramaya Namah। | जो अतुलनीय पराक्रम के स्वामी हैं |
९० | सत्यधर्मी | ॐ सत्यधर्मिणे नमः । | Om Satyadharmine Namah। | जो सत्य के पथ पर चलने वाले हैं |
९१ | सखा | ॐ सखये नमः । | Om Sakhaye Namah। | जो भक्तों के सखा व मित्र हैं |
९२ | सरसाम्बुनिधि | ॐ सरसाम्बुनिधये नमः । | Om Sarasambunidhaye Namah। | जिन्हें दूर्वा घास प्रिय है |
९३ | महेश | ॐ महेशाय नमः । | Om Maheshaya Namah। | जो देवताओं में सबसे महान हैं / जो भगवान शिव के पुत्र हैं |
९४ | दिव्याङ्ग | ॐ दिव्याङ्गाय नमः । | Om Divyangaya Namah। | जिनके समस्त अङ्ग दिव्य एवं तेजोमय हैं |
९५ | मणिकिङ्किणीमेखल | ॐ मणिकिङ्किणीमेखलाय नमः । | Om Manikinkinimekhalaya Namah। | जो मणियुक्त मेखला (कटिसूत्र) धारण करने वाले हैं |
९६ | समस्तदेवतामूर्ति | ॐ समस्तदेवतामूर्तये नमः । | Om Samastadevatamurtaye Namah। | समस्त देव जिनकी उपासना करते हैं |
९७ | सहिष्णु | ॐ सहिष्णवे नमः । | Om Sahishnave Namah। | जो शान्त एवं सहनशील स्वभाव वाले हैं |
९८ | सततोत्थित | ॐ सततोत्थिताय नमः । | Om Satatotthitaya Namah। | जो सदैव प्रगति करने वाले हैं |
९९ | विघातकारी | ॐ विघातकारिणे नमः । | Om Vighatakarine Namah। | जो भक्तों की सुरक्षा करने वाले हैं |
१०० | विश्वग्दृक् | ॐ विश्वग्दृशे नमः । | Om Vishwagdrishe Namah। | जो सम्पूर्ण विश्व के क्रियाकलापों पर दृष्टि रखने वाले हैं |
१०१ | विश्वरक्षाकृत् | ॐ विश्वरक्षाकृते नमः । | Om Vishwarakshakrite Namah। | जो सृष्टि की रक्षा करने वाले हैं |
१०२ | कल्याणगुरु | ॐ कल्याणगुरवे नमः । | Om Kalyanagurave Namah। | जो गुरु के रूप में कल्याण करने वाले हैं |
१०३ | उन्मत्तवेष | ॐ उन्मत्तवेषाय नमः । | Om Unmattaveshaya Namah। | जो सदैव आनन्दमग्न रहने वाले हैं |
१०४ | अपराजित | ॐ अपराजिते नमः । | Om Aparajite Namah। | जिन्हें पराजित करना असम्भव है |
१०५ | समस्तजगदाधार | ॐ समस्तजगदाधाराय नमः । | Om Samstajagadadharaya Namah। | जो समस्त ब्रह्माण्ड को धारण करने वाले हैं |
१०६ | सर्वैश्वर्यप्रद | ॐ सर्वैश्वर्यप्रदाय नमः । | Om Sarwaishwaryapradaya Namah। | जो नाना प्रकार के धन-ऐश्वर्य प्रदान करने वाले हैं |
१०७ | आक्रान्तचिदचित्प्रभु | ॐ आक्रान्तचिदचित्प्रभवे नमः । | Om Akrantachidachitprabhave Namah। | जो समस्त सृष्टि के ज्ञान एवं बुद्धि के स्रोत हैं |
१०८ | श्री विघ्नेश्वर | ॐ श्री विघ्नेश्वराय नमः । | Om Shri Vighneshwaraya Namah। | जो समस्त विघ्नों को नष्ट करने वाले हैं |
॥ इति श्रीगणेशाष्टोत्तरशतनामावलिः सम्पूर्णा ॥