भगवान शिव के 108 नाम – 108 Names of Lord Shiva

शिव जी के 108 नामों का महत्व – 108 Names of Lord Shiva​ Importance

शिव जी के 108 नाम, जिन्हें “शिव अष्टोत्तरशत नामावली” के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखते हैं। ये नाम भगवान शिव के विभिन्न गुणों, शक्तियों और रूपों को दर्शाते हैं। इनका जाप करने से भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और ईश्वर के प्रति निकटता प्राप्त होती है। नीचे इनके महत्व को विस्तार से समझाया गया है:

  1. दिव्य गुणों का प्रतीक:
    शिव के 108 नाम उनके अनंत गुणों जैसे कल्याणकारी, दयालु, शक्तिशाली, और संहारक शक्ति को प्रकट करते हैं। उदाहरण के लिए, “महादेव” (देवों का देव) उनकी सर्वोच्चता को दर्शाता है, जबकि “नीलकंठ” (नीले कंठ वाला) उनके त्याग और विश्व कल्याण के प्रतीक हैं।
  2. संख्या 108 का पवित्र महत्व:
    हिंदू धर्म में 108 को एक पवित्र संख्या माना जाता है। यह संख्या कई कारणों से महत्वपूर्ण है:

    • 108 को सृष्टि के संतुलन का प्रतीक माना जाता है, जिसमें 1 ब्रह्मांड की एकता, 0 शून्यता और 8 अनंतता को दर्शाता है।
    • ज्योतिष में 12 राशियाँ और 9 ग्रहों का गुणनफल (12 × 9 = 108) भी इसे विशेष बनाता है।
    • मान्यता है कि मानव शरीर में 108 नाड़ियाँ होती हैं, जो ऊर्जा के केंद्रों को जोड़ती हैं।
  3. आध्यात्मिक शक्ति और भक्ति:
    इन नामों का जाप करने से भक्तों का मन एकाग्र होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं। प्रत्येक नाम एक मंत्र के रूप में कार्य करता है, जो शिव की ऊर्जा को जागृत करता है। जैसे “ॐ नमः शिवाय” मूल मंत्र है, वैसे ही प्रत्येक नाम के साथ “ॐ” और “नमः” जोड़कर जाप करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
  4. पापों से मुक्ति:
    शिव को “हर” (पाप हरने वाला) कहा जाता है। उनके 108 नामों का नियमित जाप करने से भक्त अपने पापों से मुक्ति पाते हैं और जीवन में शुद्धता प्राप्त करते हैं। खासकर “मृत्युंजय” नाम मृत्यु के भय को दूर करने और दीर्घायु प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध है।
  5. सर्वकल्याणकारी प्रभाव:
    इन नामों का पाठ करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ होता है, बल्कि भौतिक जीवन में भी सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। यह भक्तों को संकटों से बचाता है और जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
  6. सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा:
    शिव के 108 नामों का उल्लेख विभिन्न पुराणों जैसे शिव पुराण और लिंग पुराण में मिलता है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और महाशिवरात्रि, श्रावण मास, या सोमवार जैसे पवित्र अवसरों पर इनका जाप विशेष रूप से किया जाता है।

निष्कर्ष:
शिव के 108 नाम केवल शब्द नहीं, बल्कि उनकी दिव्य शक्ति के संवाहक हैं। इनका जाप भक्ति, श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से भक्त अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं और शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। यह एक ऐसा मार्ग है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है।

यहाँ शिव जी के 108 नाम और उनके मंत्रों की सूची प्रस्तुत है।

108 Names of Lord Shiva – Shiva Ashtottara Shatnamavali

क्रमांक नाम (संस्कृत)  मंत्र Mantra in English अर्थ
शिव ॐ शिवाय नमः । Om Shivaya Namah। जो अत्यन्त मङ्गलकर हैं
महेश्वर ॐ महेश्वराय नमः । Om Maheshwaraya Namah। जो देवों के देव हैं
शम्भु ॐ शम्भवे नमः । Om Shambhave Namah। जो सुख-सम्पत्ति प्रदान करने वाले हैं
पिनाकी ॐ पिनाकिने नमः । Om Pinakine Namah। जो पिनाक नामक धनुष धारण करने वाले हैं
शशिशेखर ॐ शशिशेखराय नमः । Om Shashishekharaya Namah। जो शीश पर चन्द्रमा धारण करने वाले हैं
वामदेव ॐ वामदेवाय नमः । Om Vamadevaya Namah। जो समस्त प्रकार से शुभ एवं सुन्दर हैं
विरूपाक्ष ॐ विरूपाक्षाय नमः । Om Virupakshaya Namah। जिनके माथे पर विलक्षण नेत्र है
कपर्दी ॐ कपर्दिने नमः । Om Kapardine Namah। जो जटा धारण करने वाले हैं
नीललोहित ॐ नीललोहिताय नमः । Om Nilalohitaya Namah। जो नीले तथा लोहित अर्थात् लाल वर्ण वाले हैं
१० शङ्कर ॐ शङ्कराय नमः । Om Shankaraya Namah। जो सुख-सम्पदा प्रदान करने वाले हैं
११ शूलपाणी ॐ शूलपाणिने नमः । Om Shulapanine Namah। जो त्रिशूल धारण करने वाले हैं
१२ खट्वाङ्गी ॐ खट्वाङ्गिने नमः । Om Khatvangine Namah। जो खट्वाङ्ग नामक आयुध धारण करने वाले हैं
१३ विष्णुवल्लभ ॐ विष्णुवल्लभाय नमः । Om Vishnuvallabhaya Namah। जो भगवान विष्णु को अतिप्रिय हैं
१४ शिपिविष्ट ॐ शिपिविष्टाय नमः । Om Shipivishtaya Namah। जो अपने स्वरूप से विशिष्ट किरणें उत्सर्जित करते हैं
१५ अम्बिकानाथ ॐ अम्बिकानाथाय नमः । Om Ambikanathaya Namah। जो देवी अम्बिका अर्थात् पार्वती के पति हैं
१६ श्रीकण्ठ ॐ श्रीकण्ठाय नमः । Om Shrikanthaya Namah। जो सुन्दर कण्ठ वाले हैं
१७ भक्तवत्सल ॐ भक्तवत्सलाय नमः । Om Bhaktavatsalaya Namah। जो अपने भक्तों से अगाध प्रेम करने वाले हैं
१८ भव ॐ भवाय नमः । Om Bhavaya Namah। जो स्वयं सृष्टि के रूप में प्रकट होने वाले हैं
१९ शर्व ॐ शर्वाय नमः । Om Sharvaya Namah। जो समस्त कष्टों एवं पापों को नष्ट करने वाले हैं
२० त्रिलोकेश ॐ त्रिलोकेशाय नमः । Om Trilokeshaya Namah। जो तीनों लोकों के स्वामी हैं
२१ शितिकण्ठ ॐ शितिकण्ठाय नमः । Om Shitikanthaya Namah। जो श्वेत कण्ठ वाले हैं
२२ शिवाप्रिय ॐ शिवाप्रियाय नमः । Om Shiva-Priyaya Namah। जो देवी पार्वती को अत्यन्त प्रिय हैं
२३ उग्र ॐ उग्राय नमः । Om Ugraya Namah। जो अत्यन्त उग्र प्रकृति वाले हैं
२४ कपाली ॐ कपालिने नमः । Om Kapaline Namah। जो गले में कपाल की माला धारण करने वाले हैं
२५ कामारि ॐ कामारये नमः । Om Kamaraye Namah। जो कामदेव के परम शत्रु हैं
२६ अन्धकासुरसूदन ॐ अन्धकासुरसूदनाय नमः । Om Andhakasurasudanaya Namah। जो अन्धकासुर का वध करने वाले हैं
२७ गङ्गाधर ॐ गङ्गाधराय नमः । Om Gangadharaya Namah। जो जटाओं में देवी गङ्गा को धारण करने वाले हैं
२८ ललाटाक्ष ॐ ललाटाक्षाय नमः । Om Lalatakshaya Namah। जो अपने ललाट पर नेत्र धारण करते हैं
२९ कालकाल ॐ कालकालाय नमः । Om Kalakalaya Namah। जो काल अर्थात् यम के भी काल हैं
३० कृपानिधि ॐ कृपानिधये नमः । Om Kripanidhaye Namah। जो कृपा के सागर हैं
३१ भीम ॐ भीमाय नमः । Om Bhimaya Namah। जो भीम के समान बलवान हैं
३२ परशुहस्त ॐ परशुहस्ताय नमः । Om Parashuhastaya Namah। जो परशु अर्थात् फरसा नामक अस्त्र धारण करने वाले हैं
३३ मृगपाणि ॐ मृगपाणये नमः । Om Mrigapanaye Namah। जो भक्तों के मनरूपी मृग को धारण करने वाले हैं
३४ जटाधर ॐ जटाधराय नमः । Om Jatadharaya Namah। जो जटा धारण करने वाले हैं
३५ कैलासवासी ॐ कैलासवासिने नमः । Om Kailasavasine Namah। जो कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले हैं
३६ कवची ॐ कवचिने नमः । Om Kawachine Namah। जो कवच धारण करने वाले हैं
३७ कठोर ॐ कठोराय नमः । Om Kathoraya Namah। जो अत्यन्त सुदृढ़ एवं अति बलशाली हैं
३८ त्रिपुरान्तक ॐ त्रिपुरान्तकाय नमः । Om Tripurantakaya Namah। जो त्रिपुरासुर का अन्त करने वाले हैं
३९ वृषाङ्क ॐ वृषाङ्काय नमः । Om Vrishankaya Namah। जिनके ध्वज पर नन्दी का चिन्ह अङ्कित है
४० वृषभारूढ ॐ वृषभारूढाय नमः । Om Vrishabharudhaya Namah। जो नन्दी पर सवार हैं
४१ भस्मोद्धूलितविग्रह ॐ भस्मोद्धूलितविग्रहाय नमः । Om Bhasmoddhulitavigrahaya Namah। जो सम्पूर्ण शरीर पर भस्म धारण करने वाले हैं
४२ सामप्रिय ॐ सामप्रियाय नमः । Om Samapriyaya Namah। जिन्हें सामवेद अत्यन्त प्रिय है
४३ स्वरमय ॐ स्वरमयाय नमः । Om Swaramayaya Namah। जो सातों स्वरों में निवास करने वाले हैं
४४ त्रयीमूर्ति ॐ त्रयीमूर्तये नमः । Om Trayimurtaye Namah। जो ऋग्वेद, यजुर्वेद एवं सामवेद के रूप में स्थित हैं
४५ अनीश्वर ॐ अनीश्वराय नमः । Om Anishwaraya Namah। जो स्वयं ही सबके स्वामी हैं
४६ सर्वज्ञ ॐ सर्वज्ञाय नमः । Om Sarvajnaya Namah। जो सर्वज्ञ हैं
४७ परमात्मा ॐ परमात्मने नमः । Om Paramatmane Namah। जो परम पिता परमेश्वर हैं
४८ सोमसूर्याग्निलोचन ॐ सोमसूर्याग्निलोचनाय नमः । Om Somasuryagnilochanaya Namah। जो चन्द्र, सूर्य एवं अग्नि को अपने तीन नेत्रों के रूप में धारण करने वाले हैं
४९ हविस् ॐ हविषे नमः । Om Havishe Namah। जो हवि अर्थात् आहुति के साक्षात् स्वरूप हैं
५० यज्ञमय ॐ यज्ञमयाय नमः । Om Yajnamayaya Namah। जो स्वयं यज्ञ स्वरूप हैं
५१ सोम ॐ सोमाय नमः । Om Somaya Namah। जो चन्द्रमा के समान शीतल एवं निर्मल हैं
५२ पञ्चवक्त्र ॐ पञ्चवक्त्राय नमः । Om Panchavaktraya Namah। जो पाँच मुख वाले हैं
५३ सदाशिव ॐ सदाशिवाय नमः । Om Sadashivaya Namah। जो सदैव शुभ हैं
५४ विश्वेश्वर ॐ विश्वेश्वराय नमः । Om Vishveshwaraya Namah। जो सम्पूर्ण सृष्टि के स्वामी हैं
५५ वीरभद्र ॐ वीरभद्राय नमः । Om Virabhadraya Namah। जो अत्यन्त उग्र स्वभाव वाले हैं
५६ गणनाथ ॐ गणनाथाय नमः । Om Gananathaya Namah। जो समस्त गणों के स्वामी हैं
५७ प्रजापति ॐ प्रजापतये नमः । Om Prajapataye Namah। जो समस्त प्राणियों के स्वामी हैं
५८ हिरण्यरेता ॐ हिरण्यरेतसे नमः । Om Hiranyaretase Namah। जो सहस्र सूर्यों के समान तेज धारण करने वाले हैं
५९ दुर्धर्ष ॐ दुर्धर्षाय नमः । Om Durdharshaya Namah। जिन्हें पराजित नहीं किया जा सकता
६० गिरीश ॐ गिरीशाय नमः । Om Girishaya Namah। जो पर्वतों के स्वामी हैं
६१ गिरिश ॐ गिरिशाय नमः । Om Girishaya Namah। जो कैलाश पर्वत पर शयन करने वाले हैं
६२ अनघ ॐ अनघाय नमः । Om Anaghaya Namah। जो पापों से रहित हैं
६३ भुजङ्गभूषण ॐ भुजङ्गभूषणाय नमः । Om Bhujangabhushanaya Namah। जो सर्पों को आभूषण के रूप में धारण करने वाले हैं
६४ भर्ग ॐ भर्गाय नमः । Om Bhargaya Namah। जो समस्त पापों को नष्ट करने वाले हैं
६५ गिरिधन्वा ॐ गिरिधन्विने नमः । Om Giridhanvine Namah। जो मेरु पर्वत को अपने धनुष के रूप में धारण करने वाले हैं
६६ गिरिप्रिय ॐ गिरिप्रियाय नमः । Om Giripriyaya Namah। जिन्हें पर्वत अति प्रिय हैं
६७ कृत्तिवासा ॐ कृत्तिवाससे नमः । Om Krittivasase Namah। जो गजचर्म धारण करने वाले हैं
६८ पुराराति ॐ पुरारातये नमः । Om Purarataye Namah। जो त्रिपुरासुर एवं उसके तीनों लोकों का संहार करने वाले हैं
६९ भगवान् ॐ भगवते नमः । Om Bhagawate Namah। जो परम पिता परमेश्वर हैं
७० प्रमथाधिप ॐ प्रमथाधिपाय नमः । Om Pramathadhipaya Namah। जो प्रमथगणों अर्थात् शिवगणों के अधिपति हैं
७१ मृत्युञ्जय ॐ मृत्युञ्जयाय नमः । Om Mrityunjayaya Namah। जो मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले हैं
७२ सूक्ष्मतनु ॐ सूक्ष्मतनवे नमः । Om Sukshmatanave Namah। जो सूक्ष्म देह धारण करने वाले हैं
७३ जगद्व्यापी ॐ जगद्व्यापिने नमः । Om Jagadvyapine Namah। जो सम्पूर्ण सृष्टि में विद्यमान रहने वाले हैं
७४ जगद्गुरु ॐ जगद्गुरवे नमः । Om Jagadgurave Namah। जो समस्त लोकों के गुरु हैं
७५ व्योमकेश ॐ व्योमकेशाय नमः । Om Vyomakeshaya Namah। जिनके केश सम्पूर्ण आकाश में व्याप्त हैं
७६ महासेनजनक ॐ महासेनजनकाय नमः । Om Mahasenajanakaya Namah। जो भगवान कार्तिकेय के पिता हैं
७७ चारुविक्रम ॐ चारुविक्रमाय नमः । Om Charuvikramaya Namah। जो सौन्दर्य को जीतने वाले हैं
७८ रुद्र ॐ रुद्राय नमः । Om Rudraya Namah। जो भयंकर स्वरूप वाले हैं
७९ भूतपति ॐ भूतपतये नमः । Om Bhutapataye Namah। जो भूतप्रेत एवं पञ्च महाभूतों के स्वामी हैं
८० स्थाणु ॐ स्थाणवे नमः । Om Sthanave Namah। जो अचल और शाश्वत प्रभु हैं
८१ अहिर्बुध्न्य ॐ अहिर्बुध्न्याय नमः । Om Ahirbudhnyaya Namah। जो कुण्डलिनी धारण करने वाले हैं
८२ दिगम्बर ॐ दिगम्बराय नमः । Om Digambaraya Namah। जो दिशाओं को वस्त्र के रूप में धारण करने वाले हैं
८३ अष्टमूर्ति ॐ अष्टमूर्तये नमः । Om Ashtamurtaye Namah। जो आठ रूपों वाले हैं
८४ अनेकात्मा ॐ अनेकात्मने नमः । Om Anekatmane Namah। जो अनेक रूप धारण करने वाले हैं
८५ सात्त्विक ॐ सात्त्विकाय नमः । Om Sattvikaya Namah। जो परम सात्विक हैं
८६ शुद्धविग्रह ॐ शुद्धविग्रहाय नमः । Om Shuddhavigrahaya Namah। जो पूर्ण रूप से शुद्ध एवं निर्मल हैं
८७ शाश्वत ॐ शाश्वताय नमः । Om Shashvataya Namah। जो अनन्त एवं अविनाशी हैं
८८ खण्डपरशु ॐ खण्डपरशवे नमः । Om Khandaparashave Namah। जो खण्डित परशु धारण करने वाले हैं
८९ अज ॐ अजाय नमः । Om Ajaya Namah। जो अजन्मा अर्थात् शाश्वत हैं
९० पाशविमोचक ॐ पाशविमोचकाय नमः । Om Pashavimochakaya Namah। जो समस्त सांसरिक बन्धनों से मुक्त करने वाले हैं
९१ मृड ॐ मृडाय नमः । Om Mridaya Namah। जो सुख प्रदान करने वाले हैं
९२ पशुपति ॐ पशुपतये नमः । Om Pashupataye Namah। जो समस्त जीवों के स्वामी हैं
९३ देव ॐ देवाय नमः । Om Devaya Namah। जो हम सभी के आराध्य देव हैं
९४ महादेव ॐ महादेवाय नमः । Om Mahadevaya Namah। जो देवों के भी देव हैं
९५ अव्यय ॐ अव्ययाय नमः । Om Avyayaya Namah। जो अविनाशी हैं
९६ हरि ॐ हरये नमः । Om Haraye Namah। जो प्रकृति के स्वामी हैं
९७ पूषदन्तभिद् ॐ पूषदन्तभिदे नमः । Om Pushadantabhide Namah। जो पूषन नामक देव के दाँत तोड़ने वाले हैं
९८ अव्यग्र ॐ अव्यग्राय नमः । Om Avyagraya Namah। जो स्थिर एवं अटल स्वभाव वाले हैं
९९ दक्षाध्वरहर ॐ दक्षाध्वरहराय नमः । Om Dakshadhwaraharaya Namah। जो दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विध्वंस करने वाले हैं
१०० हर ॐ हराय नमः । Om Haraya Namah। जो समस्त पापों को नष्ट करने वाले हैं
१०१ भगनेत्रभित् ॐ भगनेत्रभिदे नमः । Om Bhaganetrabhide Namah। जो भग का नेत्र क्षतिग्रस्त करने वाले हैं
१०२ अव्यक्त ॐ अव्यक्ताय नमः । Om Avyaktaya Namah। जो अप्रत्यक्ष हैं
१०३ सहस्राक्ष ॐ सहस्राक्षाय नमः । Om Sahasrakshaya Namah। जो सहस्र नेत्रों वाले हैं
१०४ सहस्रपात् ॐ सहस्रपदे नमः । Om Sahasrapade Namah। जो सहस्र पैरों वाले हैं
१०५ अपवर्गप्रद ॐ अपवर्गप्रदाय नमः । Om Apavargapradaya Namah। जो मोक्ष प्रदान करने वाले हैं
१०६ अनन्त ॐ अनन्ताय नमः । Om Anantaya Namah। जो अनन्त अर्थात् अनेक रूपों वाले हैं
१०७ तारक ॐ तारकाय नमः । Om Tarakaya Namah। जो सबको सद्गति देने वाले हैं
१०८ परमेश्वर ॐ परमेश्वराय नमः । Om Parameshwaraya Namah। जो पराशक्ति परब्रह्म परमात्मा हैं

॥ इति श्रीशिवाष्टोत्तरशतनामावलिः सम्पूर्णा ॥

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