गणेश चालीसा सार (Ganesh Chalisa Saar in Hindi)
गणेश चालीसा भगवान गणेश की स्तुति में लिखी गई एक भक्तिमय चालीसा है, जिसमें 40 चौपाइयां होती हैं। इसका नियमित पाठ करने से भक्तों को बुद्धि, समृद्धि, और सभी प्रकार की विघ्न-बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
श्री गणेश चालीसा भगवान गणेश की महिमा, स्वरूप, गुण और उनके जन्म से जुड़ी पवित्र कथा का अद्भुत वर्णन करती है। इसका पाठ भक्त के जीवन में ज्ञान, बुद्धि, सुख और समृद्धि लाने वाला माना गया है। चालीसा की शुरुआत में श्री गणेशजी को “विघ्नहर्ता” और “मंगलकर्ता” के रूप में वंदन किया गया है , वे जो सभी बाधाओं को दूर करते हैं और हर कार्य में शुभता प्रदान करते हैं। उनके सुंदर स्वरूप का वर्णन करते हुए बताया गया है कि वे वक्रतुंड, शुचि शुंडधारी, पीताम्बर वस्त्रों से सजे, स्वर्ण मुकुटधारी और विशाल नेत्रों वाले हैं। उनके हाथों में पुस्तक, कुठार, त्रिशूल और मोदक हैं, जो ज्ञान, शक्ति और आनंद के प्रतीक हैं।
चालीसा में गणेशजी के जन्म की कथा विस्तार से दी गई है। जब माता पार्वती ने पुत्र प्राप्ति के लिए कठोर तप किया, तब भगवान गणेश का दिव्य रूप में अवतार हुआ। शनि देव के दृष्टि दोष से उनका सिर कट गया, परंतु भगवान विष्णु ने गजमुख का सिर लाकर गणेशजी को पुनर्जीवित किया। तभी से वे “गजानन” कहलाए और शिवजी ने उन्हें प्रथम पूज्य देवता का स्थान दिया , जिससे हर शुभ कार्य की शुरुआत गणेश पूजन से होती है। आगे की चौपाइयों में बताया गया है कि जब भगवान शिव ने अपने पुत्रों की बुद्धि परीक्षा ली, तो गणेशजी ने अपनी बुद्धिमत्ता और भक्ति से माता-पिता की परिक्रमा कर यह सिद्ध किया कि सच्ची भक्ति माता-पिता की सेवा में है। इस प्रसंग से वे “बुद्धि के देवता” और “ज्ञान के स्रोत” कहलाए।
चालीसा में यह भी कहा गया है कि गणेश जी की महिमा अनंत है , शेषनाग के हजार मुख भी उनकी महिमा का पूर्ण वर्णन नहीं कर सकते। भक्त विनम्रता से उनसे विनती करता है कि वे अपने भक्तों को बुद्धि, भक्ति और शक्ति प्रदान करें ताकि जीवन में आने वाली हर विघ्न-बाधा को दूर किया जा सके। अंत में यह बताया गया है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और ध्यानपूर्वक गणेश चालीसा का पाठ करता है, उसके घर में सदैव मंगल, शांति और समृद्धि का वास होता है। उसे समाज में सम्मान प्राप्त होता है और जीवन के सभी कार्य सफल होते हैं।
✨ सार रूप में, गणेश चालीसा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति, श्रद्धा, माता-पिता का सम्मान और ज्ञान की साधना ही जीवन के हर विघ्न को समाप्त करने का मार्ग है। श्री गणेश जी की कृपा से जीवन में बुद्धि, सुख और सफलता का प्रकाश सदैव बना रहता है।
गणेश चालीसा लिखित में – Ganesh Chalisa Lyrics
॥ दोहा ॥
जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल ॥
चौपाई
जय जय जय गणपति गणराजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥१॥
जय गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्घि विधाता॥२॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥३॥
राजत मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥४॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥५॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥६॥
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता। गौरी ललन विश्व-विख्याता॥७॥
ऋद्घि-सिद्घि तव चंवर सुधारे। मूषक वाहन सोहत द्घारे॥८॥
कहौ जन्म शुभ-कथा तुम्हारी। अति शुचि पावन मंगलकारी॥९॥
एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी॥१०॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरि द्घिज रुपा॥११॥
अतिथि जानि कै गौरि सुखारी। बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥१२॥
अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥१३॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण, यहि काला॥१४॥
गणनायक, गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम, रुप भगवाना॥१५॥
अस कहि अन्तर्धान रुप है। पलना पर बालक स्वरुप है॥१६॥
बनि शिशु, रुदन जबहिं तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥१७॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं। नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥१८॥
शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं। सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥१९॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आये शनि राजा॥२०॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक, देखन चाहत नाहीं॥२१॥
गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो। उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो॥२२॥
कहन लगे शनि, मन सकुचाई। का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥२३॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ। शनि सों बालक देखन कहाऊ॥२४॥
पडतहिं, शनि दृग कोण प्रकाशा। बोलक सिर उड़ि गयो अकाशा॥२५॥
गिरिजा गिरीं विकल हुए धरणी। सो दुख दशा गयो नहीं वरणी॥२६॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा। शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा॥२७॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो। काटि चक्र सो गज शिर लाये॥२८॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण, मंत्र पढ़ि शंकर डारयो॥२९॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्घि निधि, वन दीन्हे॥३०॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥३१॥
चले षडानन, भरमि भुलाई। रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई॥३२॥
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥३३॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥३४॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहसमुख सके न गाई॥३५॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी। करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी॥३६॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥३७॥
अब प्रभु दया दीन पर कीजै। अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै॥३८॥
श्री गणेश यह चालीसा। पाठ करै कर ध्यान॥३९॥
नित नव मंगल गृह बसै। लहे जगत सन्मान॥४०॥
दोहा
सम्वत अपन सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश॥
🌸 गणेश चालीसा पाठ के चमत्कारी लाभ
गणेश चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में शुभता, सफलता और मानसिक शांति आती है। भगवान गणेश, जिन्हें “विघ्नहर्ता” कहा जाता है, अपने भक्तों के सभी कष्टों, बाधाओं और भय को दूर करते हैं। उनके चरणों में भक्ति से किया गया पाठ व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, आत्मबल और सकारात्मक ऊर्जा भर देता है।
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विघ्न-बाधाओं से मुक्ति:
गणेश जी हर कार्य में आने वाली रुकावटों को दूर करते हैं। चालीसा का पाठ करने से जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता का मार्ग खुलता है। -
बुद्धि और विवेक की प्राप्ति:
गणपति “बुद्धि के देवता” हैं। उनका नाम जपने और चालीसा पढ़ने से निर्णय क्षमता और एकाग्रता बढ़ती है। विद्यार्थियों, व्यवसायियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए यह अत्यंत लाभकारी है। -
मन की शांति और आत्मबल:
नियमित रूप से चालीसा पाठ करने से मन के भ्रम, तनाव और भय दूर होते हैं। यह साधना आत्मविश्वास और मानसिक स्थिरता प्रदान करती है। -
घर में सुख, शांति और समृद्धि:
गणेश जी का स्मरण घर-परिवार में मंगल ऊर्जा का संचार करता है। नकारात्मकता दूर होकर घर में शांति और समृद्धि का वास होता है। -
सफलता और सौभाग्य की प्राप्ति:
जो भक्त पूरी श्रद्धा और नियम से चालीसा का पाठ करते हैं, उनके सभी कार्य सिद्ध होते हैं और जीवन में सौभाग्य का साथ मिलता है।
🔱 गणेश चालीसा पाठ के नियम और विधि
गणेश चालीसा का पाठ केवल शब्दों का उच्चारण नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। इसके प्रभाव को बढ़ाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है —
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स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें:
प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। यह शरीर और मन दोनों की शुद्धि का प्रतीक है। -
शांत वातावरण में पाठ करें:
चालीसा का पाठ किसी शांत स्थान पर करें। दीपक जलाकर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें। -
मोदक या दूर्वा अर्पित करें:
गणेश जी को मोदक और दूर्वा अत्यंत प्रिय हैं। पाठ से पहले इन्हें अर्पित करें। -
श्रद्धा और ध्यान से पाठ करें:
चालीसा पढ़ते समय मन भटकने न दें। प्रत्येक चौपाई का अर्थ समझते हुए पूर्ण भक्ति से उच्चारण करें। -
नियमितता बनाए रखें:
रोज़ाना या प्रत्येक बुधवार, चतुर्थी, या विशेष अवसरों पर नियमित पाठ करने से अत्यंत शुभ फल मिलता है। -
पाठ के बाद प्रार्थना करें:
पाठ पूर्ण होने पर भगवान गणेश से प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन से सभी बाधाएँ दूर करें और ज्ञान, सफलता व शांति प्रदान करें।
🌺 निष्कर्ष (Conclusion)
गणेश चालीसा केवल स्तुति नहीं, बल्कि एक जीवन मार्गदर्शक साधना है जो मन, बुद्धि और आत्मा को शुद्ध करती है। जो व्यक्ति सच्चे मन से इसका पाठ करता है, उसके जीवन में स्थायी सुख, शांति और सफलता का प्रकाश फैलता है।
🙏 श्री गणेशाय नमः — विघ्न विनाशक गणपति बप्पा की कृपा सदैव बनी रहे।
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जय श्री गणेश! गणपति बप्पा मोरया!