श्री गणेश भजन -Ganesh Bhajan – एकदंताय वक्रतुण्डाय

श्री गणेश भजन -Ganesh Bhajan – एकदंताय वक्रतुण्डाय

“एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि” का अर्थ है – हम उन भगवान गणेश का ध्यान करते हैं, जो एक दंत वाले हैं, घुमावदार सूंड वाले हैं, माता गौरी (पार्वती) के पुत्र हैं, समस्त हाथियों के स्वामी हैं, और जिनके मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित है। यह मंत्र भगवान गणेश की महिमा का गुणगान करता है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए श्रद्धा भाव से उच्चारित किया जाता है। गणेश वंदना एक महत्वपूर्ण स्तोत्र या प्रार्थना है, जिसे भगवान गणेश की स्तुति और आराधना के लिए किया जाता है।

हिंदू धर्म में गणपति को विघ्नहर्ता (सभी बाधाओं को दूर करने वाले) और सिद्धि-विनायक (सफलता प्रदान करने वाले) के रूप में पूजा जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश वंदना करने की परंपरा है, जिससे सभी विघ्न समाप्त हो जाते हैं और कार्य में सफलता प्राप्त होती है। गणेश वंदना के नियमित जाप से भक्त को आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार की शक्ति प्राप्त होती है। यह न केवल आत्मविश्वास को बढ़ाती है, बल्कि जीवन की चुनौतियों का सामना करने का साहस भी प्रदान करती है। इसके माध्यम से व्यक्ति की सोच सकारात्मक बनती है, जिससे समृद्धि, बुद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

भगवान गणेश की स्तुति करते हुए गणेश वंदना व्यक्ति के जीवन में सफलता, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। भगवान गणेश को गणों के नायक, देवताओं के अधिपति और सभी शक्तियों के अध्यक्ष के रूप में पूजा जाता है। वे समस्त गणों के प्रमुख हैं, उनका नेतृत्व करते हैं और देवताओं में सर्वोच्च स्थान रखते हैं। अंततः, भगवान गणेश का ध्यान और उनकी वंदना करने से व्यक्ति के जीवन में ज्ञान, बुद्धि, समृद्धि और सुख-शांति का संचार होता है।

एकदंताय वक्रतुण्डाय – Ekadantaya Vakratundaya Lyrics

एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥

गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि ।
गुणशरीराय गुणमण्डिताय गुणेशानाय धीमहि ।
गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि ।
एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥

गानचतुराय गानप्राणाय गानान्तरात्मने ।
गानोत्सुकाय गानमत्ताय गानोत्सुकमनसे ।
गुरुपूजिताय गुरुदेवताय गुरुकुलस्थायिने ।
गुरुविक्रमाय गुह्यप्रवराय गुरवे गुणगुरवे ।
गुरुदैत्यगलच्छेत्रे गुरुधर्मसदाराध्याय ।
गुरुपुत्रपरित्रात्रे गुरुपाखण्डखण्डकाय ।
गीतसाराय गीततत्त्वाय गीतगोत्राय धीमहि ।
गूढगुल्फाय गन्धमत्ताय गोजयप्रदाय धीमहि ।
गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि ।
एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥

ग्रन्थगीताय ग्रन्थगेयाय ग्रन्थान्तरात्मने ।
गीतलीनाय गीताश्रयाय गीतवाद्यपटवे ।
गेयचरिताय गायकवराय गन्धर्वप्रियकृते ।
गायकाधीनविग्रहाय गङ्गाजलप्रणयवते ।
गौरीस्तनन्धयाय गौरीहृदयनन्दनाय ।
गौरभानुसुताय गौरीगणेश्वराय ।
गौरीप्रणयाय गौरीप्रवणाय गौरभावाय धीमहि ।
गोसहस्राय गोवर्धनाय गोपगोपाय धीमहि ।
गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि ।
एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥

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